नीतीश को लेकर बीजेपी के फैसले पर लगी केंद्र की मुहर, बिहार चुनाव के लिए रणनीति तैयार
भाजपा की दरभंगा में आयोजित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए यह भी साफ कर दिया कि इसकी सहमति केंद्रीय स्तर पर भी ली गई है.
पटना: बिहार के मिथिलांचल की हृदय स्थली दरभंगा में दो दिनों तक आयोजित भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मंथन के बाद भाजपा अब अगले चुनावों को लेकर तैयारी शुरू कर दी है.
भाजपा के दो दिनों के मंथन के बाद यह बात साफ हो गई कि भाजपा अगले साल होने वाले लोक सभा चुनाव और उसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव में बिना नीतीश कुमार पार्टी को उतारेगी.
भाजपा की दरभंगा में आयोजित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए यह भी साफ कर दिया कि इसकी सहमति केंद्रीय स्तर पर भी ली गई है.
वैसे, माना यह भी जा रहा है कि भाजपा एक रणनीति के तहत इस घोषणा को ज्यादा प्रचारित करना चाहती है. इसमें कोई शक नही कि पिछले काफी लंबे समय से भाजपा और जदयू का साथ रहा है. इसमें भी कोई दो राय नहीं कि इन दोनों पार्टियों को जनता का समर्थन राजद के शासनकाल को समाप्त करने के लिए दिया था.
जानकारों की मानें तो भाजपा इसी कारण को लेकर जनता के बीच जाने को रणनीति पर काम कर रही है. इधर, भाजपा इन मतदाताओं को भी यह संदेश देना चाह रही है कि जो लोग भाजपा के साथ रहने पर जदयू को अपना समर्थन देते थे, वे भी यह जान ले कि भाजपा और जदयू को दोस्ती अब कभी नहीं हो सकती.
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 40 में से 38 से ज्यादा सीटों पर जीत और विधानसभा चुनाव में दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाने को लेकर कार्यकर्ताओं का आह्वान किया गया है.
वैसे, बिहार में नीतीश के महागठबंधन के साथ जाने के बाद से ही भाजपा आक्रामक हो गई है. भाजपा के निशाने पर जदयू है. इस बीच, जदयू और राजद के नेता सुधाकर सिंह और उपेंद्र कुशवाहा भी सीधे तौर पर नीतीश को घेर रहे हैं.
इधर, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और राजद नेता उदय नारायण चौधरी ने भी महागठबंधन सरकार को लंगड़ी सरकार बताया जबकि तेजस्वी यादव का गुणगान किया. ऐसी स्थिति में देखा जाए तो विपक्ष के अलावा सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के निशाने पर नीतीश ही है, जो भाजपा के लिए लाभप्रद साबित हो रहा है.
हालांकि, नीतीश कुमार भी बीजेपी को जवाब देने से पीछे नहीं हट रहे हैं. नीतीश कुमार ने बीजेपी में शामिल हो लेकर कहा है कि मर जाना कबूल है, उनके साथ जाना नहीं है. यहां तक कि उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी नीतीश कुमार नर्म नहीं दिख रहे हैं. दूसरी ओर नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव का पूरा सपोर्ट मिलता दिखाई दे रहा है. ऐसे में यह कहना अभी जल्दबाजी होगी की नीतीश कुमार से अलग होने के बाद बीजेपी में बिहार की राह आसान होगी.
(आईएएनएस)