10 प्वाइंट में समझें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस बार का दिल्ली दौरा है कितना अहम
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar Delhi Visit) मंगलवार को दिल्ली दौरे के लिए रवाना हो गए. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) ईडी की पूछताछ की वजह से पहले से दिल्ली में हैं. लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) भी दिल्ली में हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar Delhi Visit) मंगलवार को दिल्ली दौरे के लिए रवाना हो गए. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) ईडी की पूछताछ की वजह से पहले से दिल्ली में हैं. लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) भी दिल्ली में हैं. हाल ही में मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress President Mallikarjun Khadge) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन किया था, जिसके बाद से उत्साहित नीतीश कुमार दिल्ली दौरे पर गए हैं. दरअसल, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की लोकसभा सदस्यता खत्म होने के बाद से ऐसे नेताओं की उम्मीदों को पंख लग गए हैं, जो खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझ रहे थे. और इन नेताओं में अचानक राहुल गांधी के प्रति हमदर्दी का सैलाब उमड़ पड़ा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उम्मीदें भी जग गई हैं. लिहाजा उनका इस बार का दिल्ली दौरा बेहद अहम माना जा रहा है. आइए, 10 प्वाइंट में जानते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस बार के दिल्ली दौरे और पिछली बार के दिल्ली दौरे में कितना अंतर हैः
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन के नेता के रूप में दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी, उसके बाद उन्होंने दिल्ली दौरा किया था. हालांकि तब कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें वो भाव नहीं दिया था. उसके बाद से उनका उत्साह ठंडा पड़ गया.
उधर, राजद के नेता नीतीश कुमार को याद दिलाते रहे कि उन्हें पीएम बनना है और तेजस्वी यादव को सीएम. लेकिन इन सबकी परवाह किए बगैर वे समाधान यात्रा पर निकल गए. तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे थे.
पिछले दिनों भाकपा माले के कन्वेंशन में सीएम नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से निवेदन किया था कि वे विपक्षी एकता की पहल करने वाली बात कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा दें.
पूर्णिया में महागठबंधन की रैली में भी नीतीश कुमार ने कांग्रेस के बिहार अध्यक्ष अखिलेश सिंह से आग्रह किया कि वे आलाकमान से विपक्षी एकता के लिए बात करें. फिर भी कोई रिस्पांस नहीं मिला. हालांकि कुछ दिन पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार से बात की तो उनकी उम्मीद को नई किरण मिल गई.
जब से राहुल गांधी को मोदी सरनेम केस में सजा हुई है और उनकी लोकसभा सदस्यता चली गई है, तब से कांग्रेस के नाम पर बिदकने वाले कई नेता पार्टी के करीब आ गए हैं. चाहे पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी हों या फिर बिहार के सीएम नीतीश कुमार.
नीतीश कुमार की पार्टी पहले तो राहुल गांधी के समर्थन में विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा नहीं बनी थी लेकिन बाद में इसके नेता शामिल होने लगे. राहुल गांधी के समर्थन में विपक्ष के नेताओं की दिल्ली में बैठक होने लगी.
तेलंगाना के सीएम केसीआर और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई तो कांग्रेस की नुमाइंदगी भी होने लगी. इन नेताओं की मंशा यह है कि राहुल गांधी अगर पीएम नहीं बन पाते हैं तो कांग्रेस या संयुक्त विपक्ष की ओर से उनके चेहरे पर दांव खेला जा सकता है.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार को अपने पूछे जाने का इंतजार था. पहले न तो केसीआर और न ही एमके स्टालिन उन्हें पूछते थे. कांग्रेस की ओर से तो कोई संकेत ही नहीं मिल रहा था. लेकिन जब से खड़गे का फोन आया, तब से नीतीश कुमार को लगा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी उन्हें पूछ रही है तो हो सकता है बिल्ली के भाग्य से छींका टूट जाए.
हालांकि उन्होंने संयुक्त विपक्ष की ओर से पीएम प्रत्याशी बनाए जाने की बात से कई बार इनकार किया है. नीतीश कुमार को पता है कि ममता बंगाल से बाहर स्वीकार्य नहीं हो सकतीं, स्टालिन और केसीआर की हिंदी पट्टी में पहुंच नहीं है.
उधर, नीतीश कुमार 17 साल से मुख्यमंत्री हैं और केंद्र में रेल मंत्री रह चुके हैं. विकल्पहीनता की स्थिति में नीतीश कुमार बेहतर विकल्प हो सकते हैं.