Waqf Board Amendment Bill: वक्फ बोर्ड बिल को लेकर भड़के चिराग पासवान, कहा- विपक्ष भ्रम फैला रहा
Waqf Board Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच चिराग पासवान ने विपक्ष पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मामले में भ्रम फैला रहा है.
पटना: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान ने गुरुवार को कहा कि विपक्ष भ्रम फैला रहा है. उसने जनता को भ्रमित करने के साथ डराने का प्रयास भी शुरू कर दिया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिस तरीके से विपक्ष ने लोकसभा के चुनाव में आरक्षण खत्म होने, संविधान खत्म होने और इस तरह की तमाम बातें कर लोगों को भ्रमित करना शुरू किया था, वैसे ही वक्फ बोर्ड में जो संशोधन के विधेयक पर भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि विपक्ष इसे मुसलमान विरोधी और मुसलमान का हक छीनने के लिए लाया गया कानून बता रहा है, जबकि जब वास्तविकता यह है कि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने के लिए यह विधेयक लाया गया है. इसमें कई ऐसी बातें हैं और उस समय की सरकार के सुझाव हैं जब विपक्ष के लोग सत्ता में थे. वे इन्हें लागू नहीं करा पाए थे और यह मामला बहुत दिनों से लंबित था. कई मुस्लिम संगठन समय-समय पर यह मांग करते रहे हैं. उन्हीं के अधिकारों को और मजबूत करने के लिए यह विधेयक लाया गया है ताकि समाज के गरीब मुसलमानों को भी उनका हक और अधिकार मिले. इसी सोच के साथ ये संशोधन लाये जा रहे हैं.
चिराग पासवान ने कहा कि किसी के दिमाग में कोई शंका न रहे, इसके लिए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी सरकार के समक्ष अपनी बातें रखी थीं और विधेयक को किसी समिति के पास रखने का सुझाव दिया है ताकि जितने हितधारक हैं वे इस पर खुलकर चर्चा कर सकें और हर प्रकार के भ्रम को दूर किया जा सके. उन्होंने कहा कि विपक्ष के मन में कोई शंका न रहे, इसके लिए इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण में क्रीमी लेयर के फैसले पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के सवाल पर चिराग ने कहा कि वह अपने कैबिनेट साथी के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी में कहीं भी "अछूत" शब्द का जिक्र भी नहीं है. अगर आप 530 पन्नों से ज्यादा की टिप्पणी को पढ़ेंगे तो कहीं भी अछूत शब्द का इस्तेमाल नहीं है जबकि अनुसूचित जाति वह कास्ट है, जिसे संविधान की अनुसूची में रखने का आधार ही छुआछूत रहा है. मेरा मानना है कि ऐसी जातियों में क्रीमी लेयर का प्रावधान संभव ही नहीं है."
इनपुट- आईएएनएस