चिराग पासवान के आ सकते हैं अच्छे दिन, तपस्या का मिलेगा फल पर उनके चाचा का क्या होगा?
Chirag Paswan News: चिराग पासवान अगर एनडीए के साथ आते हैं तो न केवल एनडीए का कुनबा बढ़ेगा, बल्कि दलित वोटों का बड़ा हिस्सा भी एनडीए के पास आ सकता है. चिराग पासवान और जीतनराम मांझी का कांबिनेशन दलित वोटों में एनडीए की पैठ को मजबूत कर सकता है.
Chirag Paswan News: चिराग पासवान (Chirag Paswan) के अच्छे दिन आने वाले हैं. अटकलें हैं कि जुलाई के पहले हफ्ते में पीएम मोदी अपने कैबिनेट में फेरबदल (PM Modi Cabinet Reshuffle) कर सकते हैं और चिराग पासवान (Chirag Paswan) को मंत्री पद से नवाजा जा सकता है. इससे पहले इसी साल की शुरुआत में और बजट सत्र के बाद कैबिनेट में फेरबदल की अटकलों ने जोर पकड़ा था लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इस बार बताया जा रहा है कि कैबिनेट (Modi Cabinet) में फेरबदल के साथ ही भाजपा संगठन (BJP Organisation) में भी बदलाव किया जा सकता है और टीम जेपी नड्डा (Team JP Nadda) का नए सिरे से गठन हो सकता है, ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव के रास्ते में कील-कांटे दुरुस्त हो सकें.
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 6 सीटें हासिल की थीं लेकिन उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने बगावत कर दी और 5 सांसद उनके साथ हो लिए. इस तरह अपनी पार्टी में चिराग पासवान अकेले सांसद बचे हैं. फिर भी भाजपा का यह मानना है कि चिराग पासवान की जितनी अपील दलित वोटरों में है, वो पशुपति कुमार पारस की नहीं है. इसलिए लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा चिराग पासवान को साधना चाहती है.
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वैसे तो चिराग पासवान पीएम मोदी को राम और खुद को हनुमान बताते हैं लेकिन हनुमान को उनकी तपस्या का फल मिलने में ज्यादा वक्त लग गया. दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने जेडीयू को 40 सीटों पर सिमटाने में अहम भूमिका निभाई थी. उसके बाद नीतीश कुमार ने भी बदला साधने का काम किया और जानकार मानते हैं कि पशुपति कुमार पारस ने जो बगावत की, उसके सूत्रधार जेडीयू के एक बड़े नेता थे. जब तक नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू एनडीए में रही, उन्होंने चिराग पासवान को एनडीए का हिस्सा नहीं बनने दिया. अब लोकसभा चुनाव करीब है तो माना जा रहा है कि चिराग पासवान की पार्टी जल्द ही एनडीए का हिस्सा बन सकती है.
अब सवाल यह है कि अगर चिराग पासवान एनडीए का हिस्सा बनते हैं तो पशुपति कुमार पारस का क्या होगा. राजनीतिक हलकों से जो खबरें आ रही है, उसकी मानें तो बीजेपी इस कोशिश में है कि चाचा-भतीजे के बीच सुलह करा दी जाए, लेकिन चिराग पासवान अपने चाचा की ओर से किए गए विश्वासघात को भुला नहीं पाए हैं और उनसे बहुत आहत हैं. माना जा रहा है कि वे सुलह के लिए तैयार नहीं होंगे. अब अगर सुलह नहीं हुई तो क्या होगा. तो जानकारों का मानना है कि इस स्थिति में बीजेपी पशुपति कुमार पारस से मंत्री पद छीन सकती है और चिराग पासवान को ताज सौंपा जा सकता है.
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इस समय यह भी खबरें आ रही हैं कि पशुपति कुमार पारस के साथ गए चार सांसदों में से 2 यानी महबूब अली कैसर और वीणा देवी लोकसभा चुनाव नजदीक देख चिराग पासवान से नजदीकी बनाने की फिराक में हैं. हालांकि सूरजभान सिंह और प्रिंस राज की ओर से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं. चिराग इस बार हाजीपुर से चुनाव लड़ने के मूड में हैं, जो उनके पिता रामविलास पासवान की परंपरागत सीट है. वहीं पशुपति कुमार पारस हाजीपुर सीट छोड़ने के मूड में नहीं हैं. अगर चाचा-भतीजे के बीच सुलह नहीं हो पाई तो जाहिर सी बात है कि बीजेपी चिराग पासवान के साथ जाना चाहेगी.