रांची:Hemant Soren: झारखंड में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल रमेश बैस को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में उन्होंने मांग की है कि राज्य में तीन सप्ताह से अधिक समय से उत्पन्न असामान्य परिस्थिति के कारण आपके सामने आवेदन के साथ उपस्थित होने के लिए बाध्य होना पड़ा है. राज्य में बीजेपी के द्वारा ये भूमिका रची जा रही है, कि पत्थर खनन लीज मामले में मुझे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया जाएगा ,बीजेपी के नेता के सार्वजनिक बयान से साबित होता है , कि निर्वाचन आयोग द्वारा अपना मंतव्य बीजेपी को सौंप दिया गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जल्द से जल्द सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए
सीएम ने आगे लिखा कि बीजेपी इस भ्रम की स्थिति का उपयोग दल बदल के अस्त्र के रूप में अनैतिक रूप से सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है. राज्यपाल से उन्होंने मांग की है कि निर्वाचन आयोग के मंतव्य की एक प्रति उपलब्ध कराई जाए एवं जल्द से जल्द सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए, ताकि राज्य से अनिश्चितता का वातावरण दूर हो. बता दें कि पत्थर खनन लीज मामले मामले में चुनाव आयोग ने अपना फैसला राज्यपाल को दे दिया है. जिसके बाद राज्यपाल ने इस फैसले को अपने पास सुरक्षित रख लिया है. 




सुप्रीम कोर्ट के दो निर्णय का दिया हवाला
सीएम सोरेन ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के दो निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9A के प्रावधान के अंतर्गत खनन पट्टा लिये जाने से अयोग्यता उत्पन्न नहीं होती है. संविधान के अनुच्छेद 192 के अंतर्गत इस विषय में मंतव्य गठन के लिए राज्यपाल के रेफरेंश के अनुसरण में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सुनवाई भी आयोजित की गयी. संविधान के इस प्रावधान के अनुसार निर्वाचन आयोग को अपना मंतव्य पेश कर सुनवाई के लिए यथोचित कार्रवाई करनी है.