Patna Opposition Meeting: बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की महाबैठक शुरू हो चुकी है. बैठक में कांग्रेस, टीएमसी, AAP, समाजवादी पार्टी सहित तकरीबन 18 दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ पूरे विपक्ष को एकजुट करने के लिए ये बैठक आयोजित की है. बैठक का उद्देश्य है कि पूरा विपक्ष आपसी भेदभाव और मनमुटाव को भुलाकर एक छतरी के नीचे खड़ा हो. लेकिन बैठक से पहले जो एक तस्वीर सामने आई, वो विपक्षी एकता के लिए घातक साबित हो सकती है. दरअसल, इस महाबैठक के लिए कल यानी गुरुवार (22 जून) से ही देशभर के विपक्षी नेता पटना पहुंचने लगे थे. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 



पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, जम्मू की पूर्व सीएम और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सीपीआई के महासचिव डी राजा सहित तमाम नेता गुरुवार (22 जून) को ही पटना पहुंच गए थे. जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित एनसीपी चीफ शरद पवार, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवसेना उद्धव गुट के मुखिया उद्धव ठाकरे और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला आज यानी शुक्रवार (23 जून) को पटना पहुंचे. इन सभी दलों में जितना ग्रैंड वेलकम राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे का किया, उतना सम्मान दूसरे किसी और नेता को नहीं मिला. 


ये भी पढ़ें- 5 घंटे की महाबैठक में इन 5 मुद्दों पर हो सकती है चर्चा, सामने आया पूरा प्लान


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलक-पावड़ें बिछाकर कांग्रेसी नेताओं का स्वागत किया. राहुल और खड़गे का स्वागत करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने साथ तकरीबन एक दर्जन मंत्रियों को लेकर एयरपोर्ट पहुंचे. अब सवाल ये है कि कांग्रेस नेताओं को इतना ज्यादा तवज्जो क्यों दी गई. दरअसल, विपक्षी एकता की सूत्रधार बनें नीतीश कुमार ने इस बैठक के लिए तकरीबन 6 महीने पसीना बहाया है. पहले यही बैठक 12 जून को होनी थी, लेकिन आखिरी वक्त में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने आने से इनकार कर दिया था. जिसके चलते बैठक की तारीख को आगे बढ़ाना पड़ा था. इसके चलते नीतीश कुमार की काफी फजीहत हुई थी. 


कर्नाटक में बीजेपी को हराने के बाद कांग्रेस का मनोबल काफी बढ़ा है. चुनावी अखाड़े में मृत पड़ी कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है. पीएम बनने का ख्वाब देख रहे नीतीश कुमार भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं. विपक्षी एकजुटता की कवायद में जुटे क्षेत्रीय दल अब कांग्रेस पर हावी नहीं हो सकेंगे. यही वजह थी कि कांग्रेस आलाकमान ने पहले बैठक में अपने क्लास-बी के नेताओं को भेजने की बात कही थी. हालांकि, इससे बैठक का कोई मतलब नहीं रह जाता, इसलिए नीतीश कुमार ने तारीख आगे बढ़ा दी थी. अब राहुल और खड़गे को पटना बुलाने से नीतीश कुमार का कद जरूर बढ़ेगा. यही वजह है कि राहुल और खड़गे को एयरपोर्ट पर रिसीव करने के लिए मुख्यमंत्री खुद पहुंचे और अपने साथ तकरीबन एक दर्जन मंत्रियों को लेकर गए. 


ये भी पढ़ें- 'एक अनार सौ बीमार', महाबैठक से पहले PM पद को लेकर घमासान


वहीं कांग्रेस नेताओं को मिले खास सम्मान से विपक्ष के अन्य नेता नाराज हो सकते हैं. इस महाबैठक में शामिल ज्यादातर दल क्षेत्रीय हैं, जबकि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर की पार्टी है. हालांकि सिर्फ कांग्रेस ही राष्ट्रीय पार्टी ये भी नहीं है. अब आम आदमी पार्टी के पास भी राष्ट्रीय पार्टी होने का तमगा हासिल है. दिल्ली और पंजाब में उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार है. दोनों ही राज्यों में उसने कांग्रेस से सत्ता छीनी थी. इसी साल हुए दिल्ली नगर निकाय चुनाव में पार्टी ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी है. इसके अलावा टीएमसी भी पूरे देश में अपना विस्तार करने का प्रयास कर रही है. केजरीवाल और ममता को कांग्रेस फूटी आंख नहीं भाती. यदि इन नेताओं ने नीतीश कुमार के इस दोहरे रवैये को दिल पर ले लिया, तो विपक्षी एकता के लिए इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे.