जाति जनगणना पर नीतीश कुमार अपने भाई का जवाब सुन हो जाएंगे मायूस!
15 अप्रैल से बिहार में दूसरे चरण की जातिगत जनगणना का काम शुरू हुआ तो इसको लेकर सियासी सवालों के साथ सामान्य लोगों के द्वारा भी कई सवाल किए जा रहे हैं. नीतीश कुमार ने जाति आधारित गणना के दूसरे चरण की शुरुआत अपने पैतृक आवास बख्तियापुर से की.
पटनाः बिहार में दूसरे चरण के लिए जाति जनगणना की शुरुआत हो गई है. इसकी विधिवत शुरुआत नीतीश कुमार ने कर दी है. 15 अप्रैल से बिहार में दूसरे चरण की जातिगत जनगणना का काम शुरू हुआ तो इसको लेकर सियासी सवालों के साथ सामान्य लोगों के द्वारा भी कई सवाल किए जा रहे हैं. नीतीश कुमार ने जाति आधारित गणना के दूसरे चरण की शुरुआत अपने पैतृक आवास बख्तियापुर से की. बता दें कि इस दौरान सीएम के परिवार के सभी लोग वहां मौजूद थे. लेकिन इसके बाद जो हुआ वह किसी को भी सामान्य नहीं लगा और शायद इसे सुनकर सीएम नीतीश कुमार भी मायूस हो जाएंगे.
जातीय जनगणना समाप्त कर जब नीतीश के घर से कर्मचारी चले गए तो सीएम से पत्रकारों ने कई सवाल दागे और इसका जवाब देने के बाद नीतीश तो पटना के लिए निकल गए. लेकिन उनके बड़े भाई सतीश कुमार ने जा जाति जनगणना को लेकर कहा वह सुनकर तो नीतीश कुमार को भी अपने पर भरोसा नहीं होगा. दरअसल सतीश कुमार ने हिचकते हुए कहा कि हां... उनसे जाति भी पूछा ही गया. ऐसे में पत्रकारों ने साफ पूछ लिया कि इसका कोई फायदा होगा क्या तो सतीश कुमार ने साफ कहा कि ये हम नहीं कह सकते. आप लोग विश्लेषण करते हैं करिए तभी किसी ने पीछे से कह दिया कि फायदे के लिए ही न सब होता है.
उधर नीतीश कुमार ने जैसे ही अपने पैतृक आवास पर जाति जनगणना के लिए आए कर्मचारियों के सवालों का जवाब दिया वैसे ही उनके ऊपर सियासी हमला भी तेज हो गया. नीतीश के एक समय के सबसे खासमखास रहे आरसीपी सिंह ने तो नीतीश को सीधे तौर पर निशाने पर लेते हुए अपने ट्वीट में दो सवाल उठाए. एक तो शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब से दो दिनों के भीतर पश्चिमी चंपारण और मोतिहारी में लगातार जारी लोगों के मौत के बढ़ते आंकड़े पर तो वहीं आरसीपी ने सीधे नीतीश पर जाति जनगणना को लेकर भी सवाल दाग दिया कि बताइए सीएम साहब अपने पैतृक आवास पहुंचकर अपनी जाति सार्वजनिक की तो आपको कैसा लगा नीतीश बाबू? अपनी जाति के बारे में अपने मुंह से बताने में कैसा महसूस कर रहे हैं सीएम? उन्होंने साफ लिखा कि जिस लोहिया के विचारों को आप मानते थे जरा सोचिए,उनको आज कैसा लगा होगा? डॉ लोहिया तो जाति तोड़ो अभियान चलाते थे. लेकिन लोहिया के विचारों से आपका क्या लेना-देना? वह विचार और सिद्धांत तो आप पहले से ही दफना चुके हैं.
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आरसीपी सिंह ने आगे लिखा कि अगर बिहार के युवा युवतियों को रोजगार देने के कार्यक्रम को बढ़ाते तो आज ये नौबत नहीं आती. आज यह जाति जनगणना किस काम की है. खैर युवाओं के भविष्य से आपका क्या लेना-देना है आप तो बस सियासी बवालों में उलझे रहिए.