Ambedkar Jayanti Special: देश की राजनीतिक पार्टियां हमेशा महापुरुषों की जयंती के बहाने यह साबित करने की कोशिश करती हैं कि हम उनके ही कदमों पर चल रहे हैं. हालांकि, उनका असली मकसद उस खास वर्ग या जाति को टारगेट करने का होता है. इन कार्यों के जरिए राजनीतिक दल हमेशा वोट बैंक को साधने की कोशिश करती हैं. आने वाली 14 तारीख यानी 14 अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की जन्म जयंती आने वाली है. 


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आंबेडकर जयंती भी देशभर की राजनीतिक दलों की ओर कई कार्यक्रम देखने को मिलेंगे. डॉ. आंबेडकर को दलितों का मसीहा माना जाता है. बिहार में दलितों की बड़ी आबादी रहती है. इसीलिए बीजेपी और जेडीयू की ओर से कई तरह के कार्यक्रम करने का ऐलान किया गया है. बीजेपी इस पूरे सप्ताह को सामाजिक न्याय सप्ताह के रूप में मना रही है. तो वहीं जेडीयू की ओर से प्रकाशोत्सव मनाया जाएगा और कैंडिल मार्च निकाला जाएगा. 


दलितों को साधने की कोशिश


बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के नेतृत्व में राज्यभर में आंबेडकर जयंती पर अलग-अलग तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जबकि जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या (13 अप्रैल की शाम) को प्रकाशोत्सव मनाया जाएगा. 14 अप्रैल को पार्टी मुख्यालय से आंबेडकर की प्रतिमा तक एक कैंडिल मार्च भी निकाला जाएगा. 


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बिहार में 16% दलित वोट


बिहार में दलित वोट बैंक 16 प्रतिशत है. नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता इस वोटबैंक में अपनी-अपनी जाति के लंबरदार माने जाते हैं. बीजेपी को भी दलितों का एक बड़ा तबका वोट करता है. अगले साल लोकसभा चुनाव है और उसके एक साल बाद विधानसभा चुनाव है, लिहाजा दलितों को साधने के लिए हर दल अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटा है.