Bihar Politics: बिहार बीजेपी में गुरुवार (25 जुलाई) की रात को बड़ा बदलाव हो गया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से उतारकर दिलीप कुमार जायसवाल को बिठा दिया. इसी के साथ बिहार के सियासी गलियारों में एक नई बहस शुरू हो गई है. बिहार बीजेपी में एक बार फिर से किसी बाहरी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. दरअसल, दिलीप जायसवाल कांग्रेस से बीजेपी में आए थे. इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके सम्राट चौधरी भी राजद से बीजेपी में आए थे. 


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दिलीप जायसवाल अभी वर्तमान में बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री हैं. वे सीमांचल के कद्दावर नेता माने जाते हैं, साथ ही एक एमएलसी के रूप में वे काफी चर्चित हैं. लगातार तीन बार से वह विधान परिषद के सदस्य चुने जा रहे हैं. बता दें कि वह कांग्रेस पार्टी से बीजेपी में आए थे. बीजेपी में आते ही वो छा गए. वे लगातार 21 वर्षों तक बिहार बीजेपी के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं. बीजेपी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए अभी सिक्किम का प्रभारी भी बनाया जा चुका है.


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इससे पहले बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे सम्राट चौधरी भी कभी कांग्रेसी हुआ करते थे. उन्होंने कांग्रेस के साथ अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. बाद में लालू यादव की पार्टी के सिपाही बन गए. राजद का साथ छोड़ने के बाद जेडीयू में गए और जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली जदयू सरकार में शामिल हो गए थे. तीन साल बाद उनका जदयू से मोहभंग हो गया और वह भाजपा में शामिल हो गए. बीजेपी ने उनमें एक तेजतर्रार वक्ता देखा और कोइरी जाति के बड़े नेता के रूप में देखा. हालांकि, लोकसभा चुनाव में वह अपने जाति (कुशवाहा) का वोट बीजेपी को ट्रांसफर नहीं करवा पाए. 


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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुके संजय जायसवाल भी राजद से बीजेपी में आए थे. 2005 में उन्होंने आरजेडी के टिकट पर बेतिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा था. 2009 में वो भाजपा में शामिल हो गए और पश्चिम चंपारण से लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीता. 2019 के सितंबर महीने तक उन्हें भाजपा बिहार इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था. अब दिलीप जायसवाल भी वैश्य बिरादरी से हैं. हालांकि, सियासी गलियारों में बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं-नेताओं की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं.