Jharkhand Assembly Election 2024: चुनाव आयोग ने झारखंड में मतदान की तैयारी शुरू की तो झामुमो ने क्यों दे दी आंदोलन की चेतावनी?
Jharkhand Assembly Election 2024: एक तरफ भारत निर्वाचन आयोग की टीम झारखंड में चुनाव की तैयारियों को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक कर रही है, वहीं दूसरी ओर झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दे दी है. आखिर क्यों?
झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी और समीक्षा को लेकर भारत निर्वाचन आयोग की 6 सदस्यीय टीम ने शुक्रवार को रामगढ़ जिले के पतरातु लेक रिजॉर्ट में समीक्षा बैठक की. बैठक दो सत्र में चल रही है. पहले सत्र की बैठक 10 जुलाई को देर रात तक चली थी. बैठक में भारत निर्वाचन आयोग के साथ-साथ झारखंड निर्वाचन आयोग के अधिकारी शामिल हुए थे. 11 जुलाई की दूसरे सत्र की बैठक सुबह 8:30 से शुरू हुई और शाम 6:00 बजे तक चली. उधर, झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, चुनाव आयोग से विनम्र आग्रह है कि राज्य हित और लोक हित को सर्वोपरी मानते हुए 10 नवंबर से 20 दिसम्बर के बीच जब चाहें चुनाव करवा लें. नहीं तो ये नाइंसाफी आंदोलन का रूप भी ले सकती है.
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समीक्षा बैठक में झारखंड के सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त शामिल हुए. बताया जा रहा है कि बैठक में झारखंड में विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची के प्रकाशन पुनरीक्षण समेत सुरक्षा तैयारिया के बारे में विस्तार से चर्चा की गई. बैठक के बाद ही झारखंड विधानसभा चुनाव की तिथि को अंतिम रूप दिया जा सकेगा.
बैठक में भारत निर्वाचन आयोग के निर्वाचन आयुक्त धर्मेंद्र शर्मा और नीतेश व्यास, प्रधान सचिव अरविंद आनंद, झारखंड निर्वाचन आयोग के सीईओ के. रवि कुमार शामिल हुए. समीक्षा बैठक में निर्वाचन आयोग की टीम ने मतदाता सूची प्रकाशन, मतदाता सूची पुनः निरीक्षण और सुरक्षा के बारे में फीडबैक लिया. माना जा रहा है कि इस बार का चुनाव पांच चरणों में नहीं होगा.
चुनाव आयोग की टीम के झारखंड दौरे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, हम सब जानते हैं अक्टूबर में 27 अक्टूबर से पहले हरियाणा, 28 नवंबर से पहले महाराष्ट्र और 4 जनवरी तक झारखंड विधानसभा का कार्यकाल है पर झारखंड में समय से पहले चुनाव कराने की बात आ रही है. उन्होंने कहा, युवाओं के उम्मीद की महीना शुरू हो रहा है और कल से मुख्यमंत्री इसकी शुरुआत कर रहे हैं.
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सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा, राज्य में नया ड्रामा शुरू हुआ है और अब चुनाव आयोग भी इसमें कूद गया है. उन्होंने कहा, 10 नवंबर से पहले झारखंड में चुनाव कराना संभव ही नहीं है, लेकिन राज्य में अस्थिरता लाने, अफसरों को भ्रम में डालने के लिए अलोकतांत्रिक और अन्यायपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, चुनाव आयोग के पास नवम्बर से दिसंबर तक चुनाव करवाने के लिए बहुत समय है पर पहले चुनाव कराने की तैयारी किसके निर्देश पर हो रहा है. कभी ईडी घुसाते हैं, जब ईडी ढीला पड़ा, देश भर में कलई खुली तो अब चुनाव आयोग का नंबर आ गया है.