आपातकाल के वो काले दिनः विपक्ष को खत्म करने के लिए इंदिरा ने बनाया था मीसा एक्ट, जानिए कितना खतरनाक था ये कानून?
इस कानून में ऐसे प्रावधान थे कि सरकार बिना वारंट के भी किसी को भी, कभी भी, कही से भी पकड़ कर जेल में डाल सकती थी.
Emergency Special MISA Act: 25 जून को देश आपातकाल की 48वीं बरसी मनाएगा. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सत्ता के लालच में 25 जून 1975 को देश पर इमरजेंसी थोप दी थी. भारतीय इतिहास में उस दिन को हमेशा काला दिन के रूप में याद किया जाता रहेगा. इंदिरा के एक फैसले ने जनता के सारे अधिकार छीन लिए थे. रातों-रात मीडिया पर सेंसरशिप लग गई थी. मीसा कानून के तहत विपक्ष के तमाम नेताओं को जेल में डाल दिया गया, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लाल कृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, नीतीश कुमार और लालू यादव तक शामिल थे.
इमरजेंसी के दौरान मीसा कानून के तहत तकरीबन एक लाख लोगों को गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे रखा गया था. इस कानून का इस कदर दुरुपयोग के कारण ही इसे आजाद भारत का सबसे कुख्यात कानून भी कहा जाता है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव की गिरफ्तारी भी इसी कानून के तहत हुई थी. जेल में उनकी काफी पिटाई की गई थी. लालू खुद कहते हैं कि इस कानून को जिंदगी भर याद रखने के लिए ही उन्होंने अपनी बेटी का नाम मीसा रख दिया था.
कब बना था मीसा कानून?
मीसा कानून साल 1971 में लागू किया गया था. इस कानून में ऐसे प्रावधान थे कि सरकार बिना वारंट के भी किसी को भी, कभी भी, कही से भी पकड़ कर जेल में डाल सकती थी. यह देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन इंदिरा गांधी ने इस कानून का इस्तेमाल विपक्ष को समाप्त करने के लिए किया था. उन्होंने इस कानून में संशोधन करके इसे और ज्यादा घातक बना दिया था. आपातकाल के दौरान इस कानून का इस्तेमाल विरोधी नेतायों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डालने के लिए किया गया. आपातकाल में न्यायपालिका के भी अधिकार छीन लिए गए थे और मीसा कानून के तहत पुलिसिया शासन की स्थापन हो गई थी.
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कब हुआ खत्म मीसा?
आपातकाल के बाद साल 1977 में देश में आम चुनाव हुए. इसमें इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त हार हुई. इंदिरा गांधी खुद रायबरेली से और उनके छोटे बेटे संजय गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे. मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी, जो देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी. जनता पार्टी की सरकार आते ही सबसे पहले मीसा कानून को समाप्त करने का काम किया गया. इस प्रकार एक क्रूर कानून से देशवासियों को छुटकारा मिला.
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मीसा ने विपक्ष को एकजुट किया
मीसा बंदियों ने जेलों में यातनाएं झेलीं जरूर लेकिन इंदिरा सरकार को सत्ता से बेदखल करने की शुरुआत भी इन्हीं कैदियों ने की. जेपी से लेकर, चंद्रशेखर, वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडिस, लालू यादव, एलके आडवाणी, शरद यादव जैसे नेताओं ने जेल से बाहर आते ही इंदिरा सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया. विपक्षी नेताओं की लड़ाई निर्णायक मुकाम तक पहुंची. मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी का गठन हुआ और 1977 में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी.