IPS Kamya Mishra: क्या राजनीति में कदम रखेंगी पूर्व IPS काम्या मिश्रा? ज्वाइन कर सकती हैं प्रशांत किशोर की पार्टी
Bihar Politics: काम्या मिश्रा ने इस्तीफे की वजह निजी बताई है और परिवार को समय नहीं दे पाने की बात कही है. वहीं अब खबर आ रही है कि वह प्रशांत किशोर के साथ जुड़ सकती हैं.
IPS Kamya Mishra News: बिहार की तेज तर्रार आईपीएस काम्या मिश्रा के इस्तीफे पर जारी बयानबाजी के बीच एक बड़ी खबर आ रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पूर्व IPS अधिकारी काम्या मिश्रा अब प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में शामिल हो सकती हैं. काम्या मिश्रा का इस्तीफा एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है और अब उनका पीके के साथ जुड़ने की खबर ने बिहार की राजनीतिक सरगर्मियों को और बढ़ा दिया है. बता दें कि प्रशांत किशोर, यानी पीके दो अक्टूबर को राजनीतिक दल के रूप में बिहार की राजनीति में उतरने वाले हैं. उन्होंने बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान भी किया है और अपने हर प्रत्याशी की जीत की गारंटी भी दे रहे हैं.
वहीं काम्या मिश्रा ने इस्तीफे की वजह निजी बताई है और ऐसी संभावना पर फिलहाल चुप हैं. काम्या मिश्रा से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि उनके (काम्या मिश्रा) पिता का हिमाचल प्रदेश में बड़ा कारोबार है और घर की इकलौती वारिस काम्य ही हैं. इसलिए काम्या मिश्रा अपने पिता का काम संभालने हिमाचल प्रदेश जाएंगी. अपने इस्तीफे के बाद काम्या ने भी यही बात कही है. उन्होंने सोमवार (05 अगस्त) को कहा था कि निजी और पारिवारिक कारणों से इस्तीफा दे रही हूं. इस काम में मन भी लग रहा था और शोहरत भी मिल रही थी, लेकिन अपना समय अपने परिवार को नहीं दे पा रही थी. इस बात को लेकर काफी परेशान भी रहा करती थी. वहीं अब उनके राजनीति में जाने की खबर आ रही है.
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बिहार में नौकरशाहों की राजनीति में दिलचस्पी कोई नई बात नहीं है. 80 के दशक से लेकर अब तक दर्जन भर से ज्यादा IAS-IPS हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा. IAS अधिकारी आरसीपी सिंह ने नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा और केंद्रीय मंत्री तक बने. आरके सिंह भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. वहीं IPS अधिकारी रहे सुनील कुमार वर्तमान में बिहार के शिक्षा मंत्री भी हैं. इसके अलावा IPS अधिकारी आशीष रंजन सिन्हा, डीपी ओझा, एके गुप्ता, गुप्तेश्वर पांडेय, करुणा सागर, आनंद मिश्रा, बीके रवि, श्रीधर मंडल ने सेवानिवृत्ति के बाद या नौकरी से वॉलंटरी रिटायरमेंट लेने के बाद राजनीति में कदम रखा.