Lalu Prasad Yadav Revenge: कहते हैं कि राजनीति में वो व्यक्ति सबसे ज्यादा सफल होता है, जो पुरानी बातें नहीं भूलता है. लालू प्रसाद यादव तो खांटी राजनीतिज्ञ हैं तो वो पुरानी बातें कैसे भूल सकते हैं. अब देखिए न, 4105 दिन पहले राहुल गांधी ने जो कुछ पार्टी के उपाध्यक्ष रहते किया था, उसका बदला लालू प्रसाद यादव अब कैसे ले रहे हैं. आज बिहार कांग्रेस लालू प्रसाद यादव की मुट्ठी में है, लेकिन लालू प्रसाद यादव अपना बदलापुर आज भी पूरा कर रहे हैं. बिहार में लालू प्रसाद यादव कांग्रेस की जड़ में मट्ठा डालते गए और पार्टी नेतृत्व को भनक तक नहीं लगने दिया. आपके जेहन में एक बात घूम रही होगी कि आखिर 4105 दिन पहले राहुल गांधी ने ऐसा कौन सा काम किया था, जिसका बदला लालू प्रसाद यादव ले रहे हैं तो आइए आपको बताते हैं. 


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दरअसल, 4105 दिन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष रहते राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को फाड़ फेंका था, जिसमें लालू प्रसाद यादव की बाकी जिंदगी की राजनीतिक कुंडली बची थी. अब तो आपको ध्यान आ ही गया होगा कि राहुल गांधी ने कैसे तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से पास किए गए अध्यादेश को फाड़ा था. कैसे पूरे देश में सनसनी सी मच गई थी और उस समय राहुल गांधी की छवि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बनाने की कोशिश की गई थी.


आपको ध्यान ही होगा कि जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने दागी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एक ऐतिहासिक फैसला दिया था, जिसके चलते लालू प्रसाद यादव सहित कई नेता अयोग्यता की श्रेणी में आ गए थे. लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं को बचाने के लिए तत्कालीन मनमोहन सिंह की कैबिनेट में एक अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्क्रिय करने की कोशिश की गई. तब भाजपा और वाम दलों ने उस अध्यादेश का विरोध किया, लेकिन अध्यादेश पास हो गया. 


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विपक्षी दलों के हंगामे और विरोध के बाद कांग्रेस ने एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए अध्यादेश पर अपनी स्थिति साफ करने की कोशिश की. प्रेस कांफ्रेंस कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन कर रहे थे. इस बीच राहुल गांधी प्रेस कांफ्रेंस में पहुंचे और खुद की सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. उन्होंने अध्यादेश को बकवास बताया और उसकी एक कॉपी को वहीं फाड़ दिया था. उस समय मनमोहन सिंह अमेरिका के दौरे पर थे और उनकी वापसी के बाद अध्यादेश वापस ले लिया गया था. इस तरह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के हाथ आई सफलता सबसे बड़ी असफलता में बदल गई थी और उसका दंश वे आज तक भुगत रहे हैं. 


लालू प्रसाद यादव को इस बात के लिए मलाल जरूर होगा कि अगर राहुल गांधी ने वो अध्यादेश नहीं फाड़ा होता तो इसका दंश उन्हें नहीं भुगतना होता. हालांकि इसके बाद भी लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस का हर मोर्चे पर साथ दिया. इंडिया ब्लॉक में नीतीश कुमार मुख्य भूमिका के लिए अड़े हुए थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने ही वो भूमिका राहुल गांधी के लिए तैयार की, लेकिन आज जिस तरह से लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस का विरोध किया और ममता बनर्जी की पैरवी की, उससे लग गया कि वे कांग्रेस की जड़ में मट्ठा डाल रहे थे और अब समय आ गया है कि उसे किनारे कर दिया जाए. 


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