JDU Bhim Sansad: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दलों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है. इस बार मोदी मैजिक को फ्लॉप करने की जिम्मेदारी बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उठाई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय गणना कराके और आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर दो दशकों बाद एक बार फिर से मंडल बनाम कमंडल की लड़ाई के लिए मंच तैयार कर दिया है. दलितों को साधने के लिए नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की ओर से आज यानी रविवार (26 नवंबर) को पटना में दलित संसद का आयोजन किया गया है. 


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जाति गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद प्रदेश में इस तरह का पहला आयोजन होने जा रहा है. इस कार्यक्रम की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस कार्यक्रम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संबोधित करेंगे. इसमें वे अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाएंगे. जेडीयू के इस प्रोग्राम का पूरा फोकस दलित वोटरों को अपनी तरफ लाना होगा. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूरे बिहार से लोग पटना पहुंच रहे हैं. जेडीयू की ओर से इस कार्यक्रम में तकरीबन 2 लाख की भीड़ जुटने की उम्मीद जताई जा रही है. 


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बिहार में 75 % आरक्षण लागू होने के बाद जेडीयू नेताओं की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को द्वितीय भीम की उपाधि दी जा रही है. बता दें कि जाति गणना के बाद बीजेपी जहां अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को टार्गेट करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर नीतीश ने दलित एवं महादलित पर अपना फोकस बढ़ा लिया है. दलित एवं महादलित वोटरों की राजनीति करने वाली प्रमुख पार्टियां लोजपा रामविलास, रालोजपा और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा एनडीए में है, इसलिए नीतीश कुमार इस वर्ग को महागठबंधन की ओर झुकाने के लिए दमखम लगा रहे हैं.