पटना: बिहार में इन दिनों राज्य को विशेष दर्जा की मांग को लेकर खूब राजनीति देखने को मिल रही है. वहीं बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का मानना है कि राज्य को विशेष पैकेज से कुछ विशेष हासिल नहीं होने वाला है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा ही मिलना चाहिए. राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन, प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी सहित अन्य प्रवक्ताओं ने शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा की तरह जदयू भी अब बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की मांग से पीछे हटने लगी है. यही कारण है कि उसके नेताओं की भाषा बदलने लगी है. अब वे बोल रहे हैं कि विशेष दर्जा नहीं तो विशेष पैकेज ही दे दिया जाए.


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प्रवक्ताओं ने कहा कि विशेष पैकेज से बिहार को कुछ विशेष हासिल होने वाला नहीं है. यह केवल बिहार के लोगों को गुमराह करने की कवायद समझी जाएगी. 18 अगस्त 2015 को पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार को 1 लाख 65 हजार करोड़ का विशेष पैकेज देने की घोषणा की थी. भाजपा और जदयू के अनुसार यह विशेष पैकेज बिहार को मिल भी चुका है.


उन्होंने कहा कि लगभग 19 वर्षों से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं. लगभग 16 साल से भाजपा बिहार सरकार में शामिल है और दस वर्षों से केंद्र में एनडीए की सरकार है. इसके अलावा पहले घोषित विशेष पैकेज भी बिहार को मिल चुका है. इसके बावजूद भी नीति आयोग की इंडेक्स में बिहार सबसे निचले पायदान पर है. आंकड़ों में लुभावना लगने वाले ऐसे विशेष पैकेज से बिहार का विकास कैसे संभव है, इसलिए यदि सही में जेडीयू की बिहार के विकास के प्रति नियत साफ है तो उसे केंद्र पर दबाव बनाकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए पहल करना चाहिए.


इनपुट- आईएएनएस


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