Jharkhand Chunav 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है और सीट शेयरिंग पर भी बातचीत फाइनल हो चुकी है. आजसू से एक या दो सीटों पर उलझन की स्थिति है, जो जल्द ही दूर कर ली जाएगी. एक दिन पहले सोमवार को असम के मुख्यमंत्री और भाजपा की ओर से झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने इस बात के संकेत दिए थे. बताया जा रहा है कि झारखंड में भाजपा के बाद सबसे मजबूत पार्टी आजसू होगी. उसे 10 सीट आफर दिए जा रहे हैं. जेडीयू को 2 तो लोजपा रामविलास को एक सीट दी गई है. चिराग पासवान एक सीट से संतुष्ट हो जाते हैं तो आजसू को 9 सीटों से ही संतोष करना होगा. ऐसा सूत्रों ने बताया है. दूसरी ओर, जीतनराम मांझी के नेतृत्व वाले हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक भी सीट नहीं दी गई है, जबकि मांझी भी अपनी पार्टी झारखंड में चुनाव लड़ाने की इच्छा व्यक्त कर चुके थे. 


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हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि एनडीए के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग और प्रत्याशियों की सूची का ऐलान जल्द ही कर दिया जाएगा. गठबंधन की सीट शेयरिंग के साथ ही भाजपा अपने प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर देगी. आज मंगलवार को दिल्ली में झारखंड में प्रत्याशियों की सूची को लेकर बड़ी बैठक है, जिसमें प्रत्याशियों के नामों पर विचार किया जाएगा. आज की बैठक में जो नाम फाइनल होंगे, उन्हें मंजूरी के लिए भाजपा संसदीय बोर्ड में ले जाया जाएगा. वहां से मंजूरी मिलते ही झारखंड के भाजपा प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी जाएगी. हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि भाजपा एक ही बार में सभी प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं करेगी.  


कहा जा रहा है कि भाजपा पहली सूची में 28 सीटों पर आदिवासी उम्मीदवारों को जगह दे सकती है. इन सीटों में से पिछली बार भाजपा केवल 2 ही जीत पाई थी. यहीं सीटें भाजपा के लिए परेशानी भरा साबित हो सकती हैं. चुनाव मैदान में भाजपा अपने आदिवासी दिग्गज नेताओं को उतार सकती है. आदिवासी बहुल सीटों के लिए भाजपा ने अर्जुन मुंडा और चंपई सोरेन सहित कई बड़े नाम तय कर लिए हैं. हालांकि कहा जा रहा है कि अर्जुन मुंडा खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं और वे अपनी पत्नी मीरा मुंडा को प्रत्याशी बनाने के पक्ष में हैं. 


पिछली बार भाजपा झामुमो, कांग्रेस और राजद के महागठबंधन से मात खा गई थी. इसलिए इस बार वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. पिछली बार रघुबर दास भाजपा के चेहरे थे, लेकिन भाजपा ने ओडिशा का राज्यपाल बनाकर उन्हें चुनावी परिदृश्य से दूर रखा है. पहले कहा जा रहा था कि रघुबर दास झारखंड की राजनीति में सक्रिय होना चाहते हैं और ऐसा न होने पर अपने परिवार के किसी को राजनीति में आगे लाना चाहते हैं पर पार्टी ने उनकी बात नहीं मानी. 


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एक बात यह निकलकर सामने आई है कि रघुबर दास जमशेदपुर पूर्वी सीट को सरयू राय से मुक्त कराने में जरूर सफल हो गए हैं. बताया जा रहा है कि सीट शेयरिंग में जेडीयू नेता सरयू राय की सीट बदल गई है. अब वे जमशेदपुर पूर्वी के बजाय जमशेदपुर पश्चिमी से चुनाव मैदान में उतरेंगे. हालांकि सरयू राय ने भी एक शर्त रखी है कि जमशेदपुर पूर्वी से रघुबर दास के परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार नहीं बनाया जाना चाहिए. अब आगे आगे देखिए, होता है क्या?


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