रांची : झारखंड की राजनीति में लगातार बवाल मचा हुआ है. सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में घड़ी की सुई चुनाव आयोग और राज्यपाल के बीच बंद लिफाफे में बंद चिट्ठी रूकी पड़ी है. उस लिफाफे के अंदर क्या है इसको लेकर अभी तक खुलासा तो नहीं हुआ है, लेकिन झारखंड में राजनीतिक सरगर्मी तेज जरूर हो गई है. सीएम हेमंत सोरेन को भी अपनी कुर्सी हिलती नजर आ रही है. 


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आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत ने भाजपा को दिखाया हेमंत सोरेन के खिलाफ मोर्चा खोलने का रास्ता 
बता दें कि यह मामला तब प्रकाश में आया और इसने राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी जब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास और अन्य नेताओं ने राज्यपाल से इस बात की  शिकायत की कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए हेमंत सोरेन ने एक खनन पट्टा अपने नाम कर लिया. दरअसल इसी की शिकायत लेकर भाजपा के नेता राज्यपाल रमेश बैस के पास पहुंचे थे. इसके बाद राज्यपाल ने इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग से इस पर अपनी राय मांगी थी. अब जब राज्यपाल को चुनाव आयोग की तरफ से बंद लिफाफे में इसका जवाब मिल गया है तो कम ही लोग जान पाए हैं कि आखिर भाजपा नेता के पास ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ शिकायत करने की कहां से सूझी. 


सबसे पहले आरटीआई कार्यकर्ता सुनील कुमार महतो इस मामले में शिकायत लेकर पहुंचे थे राज्यपाल के पास
बता दें कि भाजपा नेताओं के पास यह आइडिया एक आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत के बाद आई और उनको इस लड़ाई को लड़ने का रास्ता उसी आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा दायर शिकायत से मिली थी. दरअसल सबसे पहले सुनील कुमार महतो नाम के एक सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता ने हेमंत सोरेन को लेकर राज्यपाल से शिकायत की थी. 



सुनील कुमार महतो ने राज्यपाल रमेश बैश से 20 जनवरी 2022 को की थी शिकायत
सुनील कुमार महतो ने राज्यपाल रमेश बैश से शिकायत करते हुए हेमंत सोरेन पर यह आरोप लगाया था कि वो ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के घेरे में आ सकते हैं. सुनील महतो ने 20 जनवरी 2022 को ही राज्यपाल को इस मामले में शिकायती ज्ञापन सौंपा था. सुनील महतो 'जय झारखंड अभियान' नाम के सामाजिक संगठन से जुड़े हैं.  


सुनील कुमार महतो ने शिकायत में लिखा था,  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पद का किया दुरुपयोग
सुनील कुमार महतो ने राज्यपाल को ज्ञापन में बताया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया है. उन्होंने इसमें साफ लिखा था कि हेमंत सोरेन ने अपने नाम से पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति ली है. इसमें यह तक बताया गया था कि इस खनन पट्टे को प्राप्त करने के लिए हेमंत सोरेन 2008 से ही प्रयासरत थे. जबकि 16 जून 2021 को सीएम बनने के बाद इस पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति हेमंत सोरेन के नाम से जारी किया गया. 



सुनील कुमार महतो की शिकायत, यह आचार संहिता का उल्लंघन
बता दें कि इस जिला खनन कार्यालय की ओर से 10 जुलाई 2021 को सीएम हेमंत सोरेने के नाम से जारी इस खनन पट्टे के लिए खनन योजना की स्वीकृति दी गई. सीएम ने इसके बाद 9 सितंबर 2021 को एसईआईएए को एक आवेदन भेजा जिसके बाद 14-18 सितंबर 2021 को इसको लेकर पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा भी कर दी गई. महतो ने इसको लेकर कहा था कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है. 


झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास और अन्य नेताओं ने इसके बाद कागजों का पुलिंदा लेकर राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी और इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ा और आज हालत यह हो गई है कि चुनाव आयोग के द्वारा भेजे गए बंद लिफाफे में सीएम हेमंत सोरेन का भविष्य कैद होकर रह गया है. 


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