Patna News: भारतीय राजनीति में राजनेताओं की मूर्तियां लगवाने का चलन काफी पुराना है. इससे उनकी जाति-बिरादरी और समर्थकों का वोट हासिल करने में बड़ी मदद मिलती है. हालांकि, यह चलन अब समाप्त हो जाना चाहिए, क्योंकि अक्सर इन मूर्तियों की सही से देखभाल नहीं हो पाती. साल में एक बार या दो बार ही (जन्मतिथि और पुण्यतिथि) पर लोगों को इनकी याद आती है और तभी इनकी साफ-सफाई होती है. कुछ ऐसा ही हाल बिहार के चौथे मुख्यमंत्री दिवंगत कृष्ण बल्लभ सहाय की प्रतिमा के साथ हो रहा है. पटना में नया सचिवालय रोड के पास इस प्रतिमा का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने 21/11/1992 को किया था. जबकि इसका अनावरण तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के द्वारा 25/08/1998 में किया गया था.


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नीतीश सरकार में यह प्रतिमा स्थल उदासीनता की मार झेल रहा है. नया सचिवालय रोड के पास जहां स्व. कृष्ण बल्लभ सहाय का प्रतिमा स्थल है, आज ये गोलंबर अतिक्रमणकारियो के कब्जे में हैं. प्रतिमा स्थल के चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है. शर्मनाक स्थिति यह है कि प्रतिमा के पास बाउंड्री ग्रिल पर गंदे कपड़े सुखाए जा रहे है. दो पानी के फव्वारे हैं, जो खराब है. चारो तरफ उगी झाड़ियां जंगल का रुप ले रही हैं. लोगों का कहना है कि जब मुख्यमंत्री आते हैं तभी प्रतिमा स्थल एक दिन साफ होता है. उसी समय राजकीय समारोह का आयोजन होता है. लोगों ने बताया कि प्रतिमा स्थल के पास शाम होते ही जुआ खेला जाता है और नशा किया जाता है. 


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बता दें कि कृष्ण बल्लभ सहाय बिहार के चौथे मुख्यमंत्री थे. लोग उन्हें केपी सहाय बुलाते थे. उनका जन्म 31 दिसंबर 1898 को बिहार के पटना जिले के शेखपुरा में हुआ था. उनके पिता मुंशी गंगा प्रसाद अंग्रेजों के शासनकाल में पुलिस दारोगा थे. 1936 में ब्रिटिश शासनकाल में जब प्रादेशिक स्वायत्तता प्रदान की गई थी, तब केबी सहाय बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे और 1937 में कृष्णा सिन्हा के मंत्रालय में उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया था. देश में जमींदारी प्रथा उन्मूलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही. इस एक्ट ने देशभर के जमींदारों में हड़कंच मचा दिया. 02 अक्टूबर 1963 को उन्होंने बिहार के चौथे मुख्यमंत्री पद के रूप में शपथ ली.


रिपोर्ट- निषेद


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