Lok Sabha Election 2024: दिल्ली में हुई भाजपा की बैठक, बिहार में एनडीए घटक दलों के बीच क्यों मचा हंगामा?
बिहार में एक तरफ नीतीश कुमार भाजपा को लोकसभा चुनाव 2024 में सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए विपक्षी एकता की कवायद में लगे हुए हैं तो वहीं भाजपा की तरफ से बिहार में नीतीश कुमार के साथ महागठबंधन को वहां की 40 सीटों पर हराने के लिए एनडीए गठबंधन को बिहार में मजबूत करने और कई पा
Lok Sabha Election 2024: बिहार में एक तरफ नीतीश कुमार भाजपा को लोकसभा चुनाव 2024 में सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए विपक्षी एकता की कवायद में लगे हुए हैं तो वहीं भाजपा की तरफ से बिहार में नीतीश कुमार के साथ महागठबंधन को वहां की 40 सीटों पर हराने के लिए एनडीए गठबंधन को बिहार में मजबूत करने और कई पार्टियों को अपने साथ लाने की तैयारी तेज कर दी गई है. इसके लिए बिहार के सियासी दलों के साथ बिहार भाजपा के नेता संपर्क साध रहे हैं तो वहीं केंद्रीय नेतृत्व के भी कई वरिष्ठ नेताओं के साथ बिहार के कई सियासी दलों के नेताओं की मुलाकात हो चुकी है.
इस सब के बीच बिहार में एनडीए के साथ आनेवाले कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के बीच दिल्ली में गिरिराज सिंह के आवास पर हुई भाजपा नेताओं की बैठक के बाद हंगामा मचना शुरू हो गया है. दरअसल बिहार में भाजपा के साथ आनेवाले नेताओं में जीतन राम मांझी का नाम है जो महागठबंधन से अपनी पार्टी को अलग कर चुके हैं. मुकेश सहनी की वीआईपी पर भी भाजपा की नजर है और उनका झुकाव भी भाजपा की तरफ हे. नीतीश से नाता तोड़ अपनी पार्टी का गठन कर चुके उपेंद्र कुशवाहा का भी नाम इसमें शामिल है. वहीं पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान को भी भाजपा अपने पाले में रखना चाहती है.
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अब इन सियासी दलों में हंगामे की वजह भाजपा की बैठक क्यों बनी इसको लेकर बताते हैं. दरअसल भाजपा की दिल्ली में जो बैठक हुई उसमें पार्टी ने 30 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने पर जोर दिया. इसके साथ ही गठबंधन सहयोगियों के लिए 10 सीटें छोड़ने की बात कही है. अब पूरे बवाल की वजह यही है. भाजपा के सूत्रों की मानें तो भाजपा 3 सीटें उपेंद्र कुशवाहा को देने की तैयारी में है इन तीन सीटों पर भाजपा के साथ गठबंधन में रहकर 2014 में भी कुशवाहा चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं लोजपा के दोनों धड़ों को मिलाकर भाजपा उन्हीं 6 सीटों पर सेट करने के मुड में है जिसपर 2019 में पार्टी की तरफ से जीत दर्ज की गई थी. इसके साथ ही मुकेश सहनी को एक सीट और अगर जीतन राम मांझी भी साथ आए तो भाजपा अपने कोटे से उनको एक सीट देने पर विचार करेगी.
अब ऐसे में महागठबंधन का साथ छोड़ चुके सियासी दल इस फॉर्मूले के खिलाफ सियासी मोर्चा खोल चुके हैं. इसका आगाज वीआईपी पार्टी से हुआ है. पार्टी की तरफ से कहा गया कि फिलहाल वह किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. ऐसे में वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी यह तो पार्टी ही तय करेगी. दरअसल वीआईपी को जब से इस बैठक की भनक लगी और एक सीट उनके मिलने की सूचना मिली तभी से वह भड़की हुई है. वीआईपी की तरफ से यह भी कहा जा रहा है कि बिहार में चिराग पासवान की पार्टी के पास 5 प्रतिश वोट है तो उसे इतनी सीटों और हमारे पास 14 प्रतिशत वोट है तो हमें एक सीट. ऐसे में भाजपा का अगर ऐसा फैसला आता है तो 25 जुलाई की बैठक में पार्टी अपना फैसला सुनाएगी.