पाकिस्तान का सिर दर्द बना 'तहरीक-ए-तालिबान' कितना ताकतवर है? जानें- TTP आतंकी संगठन के बारे में सबकुछ

TTP Against Pakistan: बैतुल्लाह महसूद के नेतृत्व में गठित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की जड़ें अफगानिस्तान/पाकिस्तान सीमा पर हैं. कुछ अनुमानों के अनुसार टीटीपी के पास 30,000 से 35,000 सदस्य हैं.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Dec 27, 2024, 03:31 PM IST
  • TTP के ठिकानों पर पाकिस्तान ने किया था हमला
  • अब TTP लेना चाह रहा बदला, अफगानिस्तानी तालिबान का TTP पर हाथ
पाकिस्तान का सिर दर्द बना 'तहरीक-ए-तालिबान' कितना ताकतवर है? जानें- TTP आतंकी संगठन के बारे में सबकुछ

How powerful is TTP terrorist organization: पाकिस्तान ने मंगलवार को पड़ोसी अफगानिस्तान में पाकिस्तानी तालिबान के कई संदिग्ध ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई. ये हमले पाकिस्तान की सीमा से लगे पक्तिका प्रांत के एक पहाड़ी इलाके में किए गए, जहां स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि मौतों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है.

पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर विदेशी मीडिया को बताया कि हमले में एक ट्रेनिंग दिए जा रहे सेंटर को भी नष्ट किया गया और कुछ विद्रोही मारे गए.

यह अफगानिस्तान के अंदर सीमावर्ती क्षेत्रों में मार्च के बाद से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के रूप में जाने जाने वाले पाकिस्तानी तालिबान के ठिकानों पर दूसरा पाकिस्तानी हमला था. इस्लामाबाद अक्सर दावा करता है कि टीटीपी पाकिस्तान में हमले करने के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल करता है, इस आरोप से काबुल ने इनकार किया है.

TTP बदले की तैयारी में
वहीं, अब TTP बदला लेवा चाह रहा है. उसपर अफगानिस्तानी तालिबान का हाथ है. रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 15,000 तालिबान लड़ाके पाकिस्तानी सीमा की ओर बढ़ चुके हैं.

अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह कि कैसे तालिबान, जिसकी अफगानिस्तान में सत्ता में वापसी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 'आशीर्वाद' के रूप में सराहा था, वो अब उसके खिलाफ हो गया है? पाकिस्तान द्वारा वर्षों तक पोषित तालिबान अब क्यों बदल गया है?

पाकिस्तान अब तालिबान की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के साथ क्षेत्रों से इस्लामाबाद के खिलाफ काम करता है और तालिबान जो अफगानिस्तान में सत्ता में है.

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान कब बना? जानें- इसके बारे में
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गठन 2007 में पाकिस्तान में अलग-अलग काम करने वाले विभिन्न कट्टरपंथी सुन्नी इस्लामवादी समूहों के एक छत्र संगठन के रूप में किया गया था, जो कि संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (FATA) में अल-कायदा से संबंधित आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तानी सैन्य अभियानों के बाद हुआ था.

बैतुल्लाह महसूद (अब मृत्यु हो चुकी है) के नेतृत्व में गठित, टीटीपी की जड़ें अफगानिस्तान/पाकिस्तान सीमा पर हैं. कुछ अनुमानों के अनुसार टीटीपी के 30,000 से 35,000 सदस्य हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इसका घोषित उद्देश्य पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंकना है ताकि इस्लामी कानून की अपनी व्याख्या के आधार पर अमीरात की स्थापना की जा सके.

इस उद्देश्य से, टीटीपी ने पाकिस्तानी सेना पर सीधे हमला करके और राजनेताओं की हत्या करके पाकिस्तान को अस्थिर करने का काम किया है. इसके हमलों, जिनमें कई आत्मघाती बम विस्फोट शामिल हैं, इन्होंने पाकिस्तान के रक्षा बलों, कानून प्रवर्तन कर्मियों और नागरिकों के सैकड़ों सदस्यों को मार डाला है.

यह आतंकवादी समूह पाकिस्तान में चर्चों, स्कूलों पर हमलों के लिए जिम्मेदार है. हाल के महीनों में टीटीपी ने देश के अंदर हमलों में दर्जनों सैनिकों को मार डाला और घायल कर दिया है. 2021 में अफगानिस्तान में अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद, इसने टीटीपी को बढ़ावा दिया. TTP के नेता और लड़ाके अफगानिस्तान में छिपे हुए हैं.

पाक के हमले पर काबुल की प्रतिक्रिया
काबुल में, अफगान रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तानी हवाई हमलों की निंदा करते हुए कहा कि बमबारी में महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों को निशाना बनाया गया. कहा गया कि अधिकांश पीड़ित वजीरिस्तान क्षेत्र के शरणार्थी थे.

मंत्रालय ने कहा, 'अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात इसे सभी अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों और घोर आक्रामकता के खिलाफ एक क्रूर कृत्य मानता है और इसकी कड़ी निंदा करता है.'

एक्स प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में, अफगान रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी पक्ष को पता होना चाहिए कि इस तरह के एकतरफा उपाय किसी भी समस्या का समाधान नहीं हैं. कहा गया, 'इस्लामिक अमीरात इस कायरतापूर्ण कृत्य को नहीं भूलेगा और ना ही हमलावरों को छोड़ेगा. वह अपने क्षेत्र की रक्षा को अपना अविभाज्य अधिकार मानता है.'

TTP पर अफगानिस्तान तालिबान का हाथ?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि देखने में तो दोनों अलग हैं, लेकिन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान TTP और अफगानिस्तान पर शासन करने वाले तालिबानी दोनों जुड़वां भाई हैं. TTP चाहता है कि पाकिस्तान को शरिया से चलने वाला पूर्ण मुस्लिम राष्ट्र बनाया जाए.

यहां TTP इसलिए मजबूत है, क्योंकि अफगानिस्तान से निकलते वक्त अमेरिकी सेना करोड़ों रुपये के हथियार अफगानिस्तान में ही छोड़ गई. अब उनपर अफगान तालिबान और पाकिस्तान तालिबान का नियंत्रण है. तो ऐसे में देखा जाए तो पाकिस्तानी सेना के लिए पाकिस्तान तालिबान से मुकाबला करना आसान नहीं होगा.

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