Chatra Lok Sabha Seat Profile: झारखंड के चतरा जिला का इतिहास काफी पुराना है. इतिहास के अनुसार, यहां मौर्या वंश का साम्राज्य हुआ करता था. मुगलकालीन इतिहास में भी इस क्षेत्र का काफी जिक्र है. मौजूदा दौर में यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है. साल 1991 में इसे जिले का दर्जा मिला. इससे पहले यह क्षेत्र हजारीबाग जिले का उपभाग हुआ करता था. इस जिले में 2 उपभाग 12 ब्लाक 154 पंचायतें और 1,474 राजस्व गांव हैं. 


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चतरा लोकसभा सीट के अंतर्गत चतरा, लातेहर जिले का पूरा हिस्सा और पलामू जिले का कुछ हिस्सा आता है. इस सीट के अंदर 5 (पनकी, लातेहर, सिमरिया, मनिका और चतरा) विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें चतरा को छोड़कर बाकी सभी सीटें आरक्षित हैं. मौजूदा दौर में सिमरिया और पनकी सीट पर बीजेपी का कब्जा है, तो वहीं चतरा पर राजद, मनिका पर कांग्रेस और लातेहर में जेएमएम का विधायक है. 


हमेशा चुना गया बाहरी सांसद


चतरा सीट जब से अस्तित्व में आई तब से आजतक यहां स्थानीय नेता को संसद पहुंचने का मौका नहीं मिला है. हमेशा बाहरी नेता ही सांसद चुना गया है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस को 3-3 बार, जनता दल, राजद 2-2 बार जीते. 2 बार निर्दलीय प्रत्याशियों को भी जीत मिली. SWA, BLD, CNSPJP को भी एक-एक बार जीत का सेहरा बांधने का मौका मिला. लेकिन इनमें से कोई भी प्रत्याशी स्थानीय नहीं था. 


रामगढ़ राजघराने से रहा संबंध


इस सीट पर 1957 में पहली बार आम चुनाव हुआ. 1957 में रामगढ़ की महारानी विजया रानी ने जनता पार्टी की टिकट पर जीत हासिल की. 1962 और 1967 में उन्होंने निर्दलीय जीत हासिल की. 1971 में कांग्रेस का खाता खुला और शंकर दयाल सिंह को जीत मिली. आपातकाल के बाद 1977 में जनता पार्टी से सुखदेव प्रसाद वर्मा जीते. 1980 में फिर से कांग्रेस ने वापसी की और रणजीत सिंह विजयी हुए. 1984 में भी कांग्रेस के प्रत्याशी योगेश्वर प्रसाद योगेश जीते. 


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1996 में पहली बार खिला कमल


1989 और 1991 में जनता दल से उपेंद्र नाथ वर्मा को जीत मिली थी. 1996 में पहली बार यहां कमल खिला और बीजेपी के धीरेंद्र अग्रवाल लगातार दो बार जीते. 1999 में बीजेपी के नागमणि कुशवाहा ने कमल खिलाया था. 2004 में धीरेंद्र अग्रवाल ने पाला बदलकर राजद की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार इंदर सिंह नामधारी सांसद चुने गए. 2014 और 2019 की मोदी लहर में सुनील कुमार सिंह दिल्ली पहुंचे.


सामाजिक समीकरण कैसे हैं?


चतरा लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति और जनजाति का दबदबा है. इसके अलावा यहां पिछड़ी जातियां भी है. मौटे तौर पर कहा जाए तो इस क्षेत्र में आदिवासी और खोटा समुदाय के लोग ज्यादा हैं. यह पूरा इलाका घने जंगलों से घिरा है, जिनमें बांस, साल, सागौन, और जड़ी-बूटियां अत्याधिक मात्रा में पाई जाती हैं. खास बात ये है कि इस इलाके में जंगली जीवों के संरक्षण के लिए अभयारण्य भी बनाया गया है. इस इलाके में नक्सलवादी उग्रवादी संगठन काफी सक्रिय हैं.