Lok Sabha Election 2024 Hajipur Seat: 1977 के बाद पहली बार रामविलास पासवान के बिना हाजीपुर सीट पर होगा चुनाव, किसकी होगी विरासत
हाजीपुर सीट को रामविलास पासवान का अभेद्य किला कहा जाता था. 1977 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई थी. जिसके बाद वे यहां से 10 बार चुनाव लड़े, जिसमें 8 बार जीत दर्ज की.
Hajipur Lok Sabha Seat Profile: हाजीपुर, बिहार के वैशाली जिले का मुख्यालय है, जोकि अपने केलों के लिए प्रसिद्ध है. यह शहर राजधानी पटना से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. राजधानी पटना के बाद हाजीपुर ही दूसरा सबसे तेजी से विकसित होने वाला शहर कहा जाता है. हाजीपुर लोकसभा सीट को दिवंगत नेता रामविलास पासवान का गढ़ कहा जाता था. यहां से वह 10 बार चुनाव लड़े, जिसमें 8 बार जीत दर्ज की.
इस सीट को 1977 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था. जिसके बाद इस पर रामविलास पासवान का कब्जा हो गया. वह यहां से सिर्फ दो बार चुनाव हारे. 1984 की कांग्रेस लहर में कांग्रेस प्रत्याशी रामरतन राम और 2009 में जदयू के उम्मीदवार रामसुंदर दास ने उन्हें हराया था. 2019 में इस सीट से राम विलास ने अपने भाई पशुपति पारस को लोकसभा भेजा था.
रामविलास ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया
इस सीट पर 1952 में पहली बार चुनाव हुआ था. 1952 से लेकर 1971 तक यहां कांग्रेस का दबदबा था. 1977 से सारे समीकरण बदल गए और रामविलास पासवान का कब्जा हो गया. जेपी आंदोलन से राजनीति में आए रामविलास पासवान ने इस सीट से लगातार रिकॉर्ड जीत हासिल की. यहीं से उन्हें ऐसी रिकॉर्डतोड़ जीत मिली कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हो गया.
इस सीट के जातीय समीकरण
हाजीपुर में जातिवाद मुद्दों पर हावी रहा है. इस क्षेत्र में यादवों का दबदबा है. राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा, पासवान की संख्या भी अच्छी खासी है. अति पिछड़े समुदाय क वोटर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. पिछड़े और अति पिछड़े वोटों पर रामविलास की अच्छी पकड़ थी. 1977 के बाद से यह पहला चुनाव होगा, जो उनकी अनुपस्थिति में लड़ा जाएगा.