Lok Sabha Election 2024 Rajmahal Seat: राजमहल लोकसभा सीट जहां ईसाई मिशनरी का है कब्जा, जानें कैसा है यहां का सियासी समीकरण
राजमहल लोकसभा सीट झारखंड के 14 लोकसभा सीट में से एक है. यह झारखंड के पाकुड़ और साहेबगंज जिलों के विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है. बता दें कि राजमहल लोकसभा सीट आरक्षित सीट है. अनुसूचित जनजाति उम्मीदवारों के लिए इस सीट को आरक्षित किया गया है.
Lok Sabha Election 2024 Rajmahal Seat: राजमहल लोकसभा सीट झारखंड के 14 लोकसभा सीट में से एक है. यह झारखंड के पाकुड़ और साहेबगंज जिलों के विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है. बता दें कि राजमहल लोकसभा सीट आरक्षित सीट है. अनुसूचित जनजाति उम्मीदवारों के लिए इस सीट को आरक्षित किया गया है. यह आदिवासी बाहुल्य इलाका है. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत तीन साहेबगंज की विधानसभा राजमहल , बोरियो और बरहेट आता है तो वहीं तीन विधानसभा क्षेत्र पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर आते है. इन्हीं 6 विधानसभा सीटों को मिलाकर राजमहल लोकसभा सीट बनाया गया है.
बता दें कि राजमहल लोकसभा सीट की 6 में से 4 विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और दो सामान्य विधानसभा सीट है. इस सीट का गठन 1957 में ही हो गया था. बता दें कि इस अनुसूचित जनजाति आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में लगभग चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय ही रहा है. यहां भाजपा और कांग्रेस का जितना दबदबा रहा है यहां की क्षेत्रीय पार्टी झामुमो का भी यहां वैसा ही वर्चस्व रहा है. राजमहल लोकसभा सीट को कांग्रेस ने 8 बार, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने 5 बार, भाजपा ने दो बार और बीएलडी और जनता पार्टी ने एक-एक बार जीता है.
बिहार से अलग होकर झारखंड के गठन के बाद इस सीट पर भाजपा और झामुमो ही टक्कर में रही है. आपको बता दें कि 2014 में मोदी लहर के दौरान यह सीट भाजपा अपने हिस्से में नहीं कर सकी. यहां झामुमो ने अपना परचम लहराया था. 2019 में भी इस सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और एक बार फिर इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कब्जा बरकरार रखा.
यहां का भौगोलिक मानचित्र देखें तो आपको पता चलेगा कि यहां की सबसे बड़ी जनसंख्या गांवों में निवास करती है और इस सीट पर जनजीवन बेहद ही सामान्य है. यहां राजमहलो प्रोजेक्ट के नाम से एक कोल परियोजना है जो गोड्डा जिले में पड़ता है. पहाड़ों से अटी-पड़ी प्राकृतिक सुंदरता और जंगलों से आच्छादित इस लोकसभा क्षेत्र में पत्थर के काम यानी क्रेशर ढेर सारी संख्या में चलते हैं. यहां एक तरफ गंगा नदी बहती है और यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा होने के कारण यहां बंगाली भाषी लोगों का भी बड़ा प्रभाव रहा है. यहां बांग्लादेशी घूसपैठ अहम मुद्दा रहा है. इस राजमहल क्षेत्र में ही अकबर मस्जिद और बंगाल के नवाब मीर कासिम का महल भी है. इसके साथ ही यहां अल्पसंख्यक वर्ग और ईसाई मिशनरी का प्रभाव बड़ा है.