Lok Sabha Election 2024 Valmiki Nagar Seat: 2008 में अस्तित्व में आए वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट का चुनावी समीकरण समझिए, 2 दशक से NDA ने जमा रखा है कब्जा
बिहार का वाल्मिकी नगर लोकसभा सीट 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में पहली बार अस्तित्व में आया और आपको बता दें कि इस सीट पर पहली बार 2009 में चुनाव हुआ और इस सीट पर अब तक दो बार जेडीयू और एक बार भाजपा का कब्जा रहा है.
Lok Sabha Election 2024 Valmiki Nagar Seat: बिहार का वाल्मिकी नगर लोकसभा सीट 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में पहली बार अस्तित्व में आया और आपको बता दें कि इस सीट पर पहली बार 2009 में चुनाव हुआ और इस सीट पर अब तक दो बार जेडीयू और एक बार भाजपा का कब्जा रहा है. 2019 में जब भाजपा और जदयू गठबंधन में इस लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे तो यह सीट जेडीयू के हिस्से में आई थी और यहां से जदयू के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. बता दें कि इस सीट को पहले बगहा संसदीय क्षेत्र सुरक्षित सीट के नाम से जाना जाता था.
इसमें कुल 6 विधानसभा वाल्मीकि नगर, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, लौरिया और सिकटा आते हैं. यहां इस लोकसभा सीट को प्रकृति ने दोनों हाथों से अपना उपहार दिया है. यहां बिहार का एकमात्र नेशनल पार्क है जिसे वाल्मिकी नगर टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है. बता दें कि नेपाल और बिहार को जोड़ने वाला पुल भी यहां है जो गंडक नदी पर बना हुआ है. यहां तीन नदियां एक जगह पर आकर मिलती हैं जहां त्रिवेणी स्नान का मेला भी लगता है.
इस लोकसभा सीट में शिक्षा का प्रतिशत 54 है. यहां की 8 प्रतिशत आबादी ही शहरों मे निवास करती है मतलब यह इलाका गांवों का इलाका है. यहां वोटर्स की बात करें तो 77 प्रतिशत मतदाता हिंदू हैं. इनमें 22 फीसदी अल्पसंख्यक, 14 फीसदी एससी और 6 फीसदी एसटी वोटर शामिल हैं. यहां वैसे तो सवर्ण वोटरों का दबदबा रहा है. लेकिन यहां MY समीकरण और दलित एवं पिछड़ा वोट मिलकर चुनाव को प्रभावित करते रहते हैं.
इससे पहले जब यह बगहा सुरक्षित सीट होता था तो आजादी के बाद से लगातार यहां 5 बार कांग्रेस ने फतह हासिल की. लेकिन 1984 के बाद से कांग्रेस को इस सीट पर जीत नसीब नहीं हुई है. इस सीट पर पिछले 20 सालों से अधिक समय से एनडीए का कब्जा रहा है. यह बिहार का पहला लोकसभा सीट कहलाने का गौरव हासिल कर चुका है लेकिन यहां के लोगों के लिए रोजगार के लिए पलायन सबसे बड़ी समस्या रही है. यहां बाढ़ की समस्या से लोग परेशान हैं वहीं गन्ने के किसानों को भी यहां काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
इस इलाके को मिनी चंबल के नाम से भी ख्याति प्राप्त है. बगहा को जिला बनाने के लिए यहां के लोग लंबे समय से आवाज उठाते आ रहे हैं. इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही अच्छी शिक्षा व्यवस्था का भी अभाव मतदाताओं के लिए बड़ी समस्या है.