Tejashwi Yadav News: बिहार की सत्ता में खुद को स्थापित करने की लड़ाई लड़ रहे तेजस्वी यादव रविवार को पिता राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के साथ मध्य प्रदेश के दतिया स्थित पीतांबरा पीठ पहुंचे. पीतांबरा पीठ में मां बगलामुखी विराजमान हैं और माना जाता है कि वह दुश्मनों का दमन करती हैं. यह पीठ राजसत्ता दिलाने के लिए भी जानी जाती है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अमित शाह आदि नेता यहां आ चुके हैं. जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह तो पीतांबरा पीठ जाते रहते हैं. अब देखना यह है कि चुनाव के ठीक एक साल पहले मां बगलामुखी के दरबार में पूजा अर्चना करने का लाभ राजद नेता तेजस्वी यादव को मिल पाता है या नहीं. वैसे यहां पूजा अर्चना करने के बाद राजसत्ता पाने वाले नेताओं का लंबा इतिहास रहा है. 


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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हों या फिर मध्य प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा हों, ये सभी पीतांबरा पीठ के भक्त रहे हैं. कोई यहां सत्ता पाने के लिए शीश नवाने आता है तो कोई मंत्री बनने की तमन्ना लिए पहुंचता है तो कोई अपने दुश्मनों के पराजय की कामना के साथ माता के चरणों में पड़ता है. यह मान्यता है कि यहां आकर अनुष्ठान करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. 


दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, उत्तराखंड आदि राज्यों के बड़े सियासी चेहरे भी यहां अनुष्ठान करने आ चुके हैं. इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस भी यहां शीश नवा चुके हैं. लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने भी यहां यज्ञ करवाया था. 


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इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, जगदंबिका पाल, अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, अमर सिंह, उमा भारती और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुरादें मांगने पहुंच चुके हैं. प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1962 के भारत चीन युद्ध के दौरान यहां 51 कुंडों का महायज्ञ करवाया था. 1965, 1971 और 1999 के युद्ध के दौरान भी पीतांबरा पीठ में महायज्ञ का आयोजन किया गया था. पूर्व राष्ट्रपतियों की बात करें तो प्रणब मुखर्जी, रामनाथ कोविंद यहां पूजा अर्चना कर चुके हैं. 


पीतांबर पीठ को महाभारत काल से भी जोड़कर देखा जाता है. यहां माता के दरबार में तंत्र साधना की बड़ी मान्यता है और दस महाविद्या में इसे 8वां स्थान प्राप्त है.


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