Bihar Flood: बिहार में गंगा, कोसी, बागमती और बूढ़ी गंडक समेत कई नदियां उफान पर हैं. जिससे कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. प्रदेश में तकरीबन 3265 वर्ग किमी में धान की खेती डूब चुकी है. ये समस्या हर साल की है. हर आने वाली बाढ़ से प्रदेश को हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ता है और बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवा देते हैं. 2022 में बाढ़ के कारण 1,256 लोगों की मौत हो गई थी. अब केंद्र सरकार ने बिहार की बाढ़ समस्या से निपटने के लिए एक तकनीकी समिति का गठन किया है. केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने इस पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है. 


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ललन सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा कि केंद्र की एनडीए सरकार ने बिहार को बाढ़ की समस्या से निदान दिलाने के लिए तकनीकी समिति का गठन किया है. यह समिति डीपीआर तैयार कर बाढ़ की समयस्याओं से निदान दिलाने की दिशा में कार्य करेगी, साथ ही बिहार को बाढ़ की विभीषिका से राहत दिलाने में मदद करेगी.  इसके लिए मैं आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पूरे बिहारवासियों की ओर से धन्यवाद देता हूं. बता दें कि यह समिति बाढ़ नियंत्रण, जल निकासी, और अन्य तकनीकी पहलुओं का अध्ययन करके एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करेगी.


 



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आइसीएआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में कुल 26 हजार 73 स्कवायर किलोमीटर क्षेत्र में बाढ़ आती है. बाढ़ के दौरान बिहार की मुख्य फसल धान को सबसे अधिक नुकसान है. राज्यभर में लगभग 3265 वर्ग किलोमीटर में धान की खेती को सीधे नुकसान है. इसमें भी 2461 वर्ग किलोमीटर एरिया में 14 से 53 फीसदी तक धान की खेती को क्षति है. बाढ़ का 75 फीसदी इलाका उत्तरी बिहार में है. दरभंगा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण और खगड़िया सर्वाधिक बाढ़ग्रस्त क्षेत्र हैं.