Modi Govt: 11 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजद्रोह कानून (Sedition Law) के मामले में सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी थी. साथ ही केंद्र-राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि जब तक अंग्रेजी जमाने (British Rule) के इस कानून पर कोर्ट गौर नहीं कर लेती, तब तक राजद्रोह की धारा (Sedition Law) में नए मुकदमे दर्ज न किए जाएं. अब इस कानून को खत्म करने के लिए मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) में बिल लेकर आई है. राजद्रोह कानून को लेकर यह मोदी सरकार (Modi Govt) का अहम कदम माना जा रहा है. अब जब यह कानून खत्म होने जा रहा है तो यह जान लेते हैं कि इस कानून के तहत कहां सबसे अधिक मुकदमे दर्ज हैं.


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बिहार में दर्ज किए गए सर्वाधिक मामले 


NCRB के अनुसार, 2010 से 2020 के बीच राजद्रोह कानून के तहत बिहार में सबसे अधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे. बिहार में 168, तमिलनाडु में 139, उत्तर प्रदेश में 115, झारखंड में 62, कर्नाटक में 50, ओडिशा में 30, हरियाणा में 29, जम्मू—कश्मीर में 26, पश्चिम बंगाल में 22, पंजाब में 21, गुजरात में 17, हिमाचल प्रदेश में 15, दिल्ली में 14, लक्षदीप में 14, केरल में 14 मुकदमे दर्ज किए गए थे. 


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NCRB के डेटा की मानें तो 2016 से 2019 के बीच राजद्रोह कानून के तहत दर्ज मुकदमे में 160 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, वहीं 2019 में इस कानून के तहत सजा की दर 3.3 प्रतिशत ही था. राजद्रोह कानून के तहत 2014 से 2019 के बीच कुल 326 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसमें से केवल 6 लोगों को ही दोषी ठहराया गया. 


अंग्रेजों के जमाने का कानून होगा खत्म


मोदी सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को संसद में तीन बिल पेश किए, जिनमें भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं. बिल पेश करते हुए गृह मंत्री ने कहा, सरकार का उद्देश्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं. अमित शाह ने कहा कि जो कानून खत्म किए जाएंगे, उनका मकसद ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उन्हें मजबूती देना था. उस कानून में दंड देने का तो विचार था पर न्याय देने का नहीं. इन कानूनों की जगह तीन नए कानून बनाए जाएंगे, जो भारतीय नागरिकों की रक्षा करेंगे. राजद्रोह की धारा तो खत्म की जा रही है पर धारा 150 के तहत कुछ प्रावधानों को बरकरार रखा गया है.


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इसके साथ ही उन्होंने कहा, भारतीय न्याय सहिंता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि नए कानूनों का लक्ष्य सजा देना नहीं, न्याय देना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने पिछले 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से 5 प्रण सामने रखे थे, जिनमें से एक प्रण यह था ​कि हम गुलामी की सभी निशानियों को मिटाकर रहेंगे. इनमें से एक प्रण आज पूरा हो रहा है. 


क्या कहता है धारा 150?


बोले या लिखे गए शब्दों, संकेतों, विजुअल माध्यम या इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों या अन्य वित्तीय माध्यमों के द्वारा अगर कोई जान—बूझकर अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या फिर विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करता है या इसके लिए कोशिश करता है, भारत की संप्रभुता को चुनौती देता है, भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालता है या फिर डालने की कोशिश करता है तो उसे आजीवन कारावास या कारावास से दंडित किया जा सकता है. सामान्य कारावास को इस धारा के माध्यम से 7 साल तक आगे बढ़ाया जा सकता है और साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है. 


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क्या है राजद्रोह कानून?


सरकार के खिलाफ अगर कोई बोलता है, लिखता है या फिर किसी अन्य सामग्री का इस्तेमाल करता है, जिससे देश को नीचा दिखाने की कोशिश की जाती है तो फिर आईपीसी की धारा 124ए के तहत उसके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया जा सकता है.