एकजुट विपक्ष की कवायद को लेकर नीतीश कुमार दिल्ली में हैं और बुधवार को उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान तेजस्वी यादव, मनोज झा, ललन सिंह और बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के अलावा सलमान खुर्शीद मौजूद थे. मुलाकात के बाद ये नेता सवालों का सामना करने के लिए आगे आए तो एक बड़ा सवाल उनका इंतजार कर रहा था- नेतृत्व कौन करेगा. तीन शब्दों का यह सवाल विपक्ष के नेताओं को आजकल तंग कर रहा है और जवाब आता है समय आने दीजिए, सब सामने आ जाएगा. दरअसल, यह सवाल आजकल इसलिए मौजूं हो गया है कि कांग्रेस के सर्वमान्य नेता राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य हो गए हैं और अगर कोर्ट से राहत नहीं मिली तो वे अगला लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे. ऐसे में नीतीश कुमार को लगता है कि उनके लिए भाग्योदय हुआ है और पीएम मैटेरियल बनने का यह गोल्डेन चांस है. 


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जब पत्रकारों ने नेताओं से सवाल किया कि नेतृत्व कौन करेगा तो ऐसा लगा जैसे नेताओं को इस सवाल की उम्मीद ही नहीं थी. मल्लिकार्जुन खड़गे ने थैंक्यू बोलकर सवाल को टाल दिया. नीतीश कुमार और राहुल गांधी तो एकबारगी सकपका गए. दोनों नेता शायद इस सवाल के लिए तैयार नहीं थे. बाद में इन दोनों नेताओं ने कहा कि मीटिंग ऐतिहासिक थी और आने वाले समय में देश के विपक्षी दलों को एकजुट करने में यह मील का पत्थर साबित होने वाली है. नीतीश कुमार ने कहा कि शुरुआत हो गई है और आगे भी सब अच्छा होने वाला है. 


राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष को एक करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है और मैं कहना चाहूंगा कि यह एक प्रक्रिया है. देश के लिए विपक्ष के विजन को हम आगे ले जाएंगे. जितनी भी पार्टियां हमारे साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी, उन्हें लेकर हम आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि देश में हम विचारधारा की लड़ाई लड़ेंगे. संस्थानों पर हो रहे आक्रमण के खिलाफ हम सब एक साथ मिलकर खड़े होंगे.


नीतीश कुमार ने कहा कि विपक्षी एकता के लिए बहुत से दल साथ आएंगे. अधिक से अधिक पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश की जाएगी. सब सहमत होंगे तो सब बैठेंगे और फिर हम सब एक साथ मिलकर चलेंगे. नीतीश कुमार ने कहा कि अंतिम तौर पर बात हो गई है. जितने लोग सहमत होंगे फिर वो सब लोग बैठकर आगे की बात तय करेंगे.