पटना: एक ओर नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर जेडीयू छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. पार्टी के कई नेता एक-एक कर नाता तोड़ने लगे हैं. इसी कड़ी में बेगूसराय के पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने भी जेडीयू को अलविदा बोल दिया है. उन्होंने जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देते हुए आरोप लगाया कि पार्टी कुछ नेताओं के हाथ में गिरवी रख दी गई है. पार्टी का पहले जो लक्ष्य था, अब वह उससे भटक गई है. आरजेडी तो मुसलमानों को भाजपा के नाम पर डराती है. भाजपा का भय दिखाकर आरजेडी उनका वोट तो ले लेती है पर हमेशा उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा है. मोनाजिर हसन के पार्टी छोड़ने को लेकर कई दलों की ओर से प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं.


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जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि मोनाजिर हसन की पार्टी में कोई सक्रियता देखने को नहीं मिल रही थी और ना ही वे किसी कार्यक्रम में सहभागिता कर रहे थे. ऐसे में पार्टी को उन्होंने किस परिस्थिति में छोड़ा है, वो बता रहे हैं लेकिन कई बार व्यक्तिगत हितों को साधने के लिए भी लोग दलबदल करते रहते हैं. 


राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गैर भाजपा विपक्षी दलों की एकजुटता के मुहिम में लगे हुए हैं और उनको सफलता भी मिल रही है. अब कुछ लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं तो यह जेडीयू का आंतरिक मामला हैं. 


बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि निश्चित रूप से मोनाजिर हसन बड़े नेता हैं और उनका दर्द छलका है. उन्होंने जाहिर किया है कि कैसे अल्पसंख्यकों का शोषण होता है. जेडीयू और राजद में उसका उन्होंने बखान किया है और राजद जेडीयू तो मुसलमानों का वोट लेती हैं लेकिन पद प्रतिष्ठा देने के नाम पर कुछ नहीं करती है. 


कांग्रेस एमएलसी समीर सिंह ने कहा कि मोनाजिर हसन जैसे नेता का आरोप लगाना हमें समझ में नहीं आता है कि नीतीश बाबू ने उन्हें सांसद बनाया, मंत्री बनाया, बहुत सम्मान देने का काम किया, इसलिए उनको धैर्य पूर्वक नीतीश कुमार के साथ रहना चाहिए. राजनीति में तो अतिमहत्वाकांक्षी होने के बाद लोगों में बेचैनी बढ़ती है और उसी बेचैनी के वह शिकार हो गए हैं.


रिपोर्ट- शिवम कुमार