Bihar: चुनावी मौसम में युवाओं को लुभाने में जुटे CM नीतीश, बेरोजगारी भत्ता का रास्ता साफ, जारी किए ₹16 करोड़
कोरोना के दौरान वापस आए प्रवासी मजदूरों का एक बड़ा तबका वापस नहीं दूसरे राज्य जाने में डर रहा है. वे अब प्रदेश में ही कुछ रोजगार तलाश रहे हैं. प्रदेश में पर्याप्त संख्या में अवसर नहीं होने पर सरकार पर इन मजदूरों को रोजगार देने का दबाव बढ़ा है.
Bihar Berojgari Bhatta News: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. आगामी आम चुनावों को लेकर सभी दलों ने अपनी-अपनी रणनीति के अनुसार तैयारी शुरू कर दी है. इस चुनाव में पीएम मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पूरी ताकत झोंकने में जुटे हैं. चुनावी मौसम में नीतीश ने ऐसा दांव चला है जो तुरुप का इक्का साबित हो सकता है. दरअसल, लोकसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले बिहार सरकार ने 92 हजार युवाओं के लिए मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना के तहत 16.12 करोड़ रुपये जारी किए हैं.
बता दें कि योजना एवं विकास विभाग ने पिछले दिनों चयनित युवाओं के लिए सहायता राशि आवंटित करने पर सहमति प्रदान की थी. दरअसल, सूबे के बेरोजगार युवाओं को रोजगार की तलाश में आर्थिक सहायता देने के लिए 2 अक्टूबर 2016 से मुख्यमंत्री स्वयं सहायता भत्ता योजना की शुरुआत की गई. स्वयं सहायता भत्ता योजना में राज्य सरकार 20-25 साल के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के मौके तलाशने के लिए 1,000 रुपये प्रति महीने की दर से आर्थिक मदद देती है.
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विभाग के अनुसार मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना के तहत जुलाई महीने के लिए 92,561 लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिलेगा. मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि हमने 92 हजार युवाओं को मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना के तहत सहायता राशि देने का फैसला लिया है। यह उनको रोजगार तलाश करने में मदद करेगा। जानकारी के मुताबिक, बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए सबसे ज्यादा आवेदन सारण के युवाओं ने किया है. वहीं सीवान दूसरे स्थान पर है, जबकि तीसरे स्थान पर गोपालगंज है. इन जिलों में क्रमश: 14164, 9585 और 5559 युवाओं को लाभ मिलेगा. सबसे कम लाभ लेने वाले जिलों में पूर्णिया, कैमूर और शेखपुरा का स्थान है.
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बता दें कि बिहार में बेरोजगारी का मुद्दा नीतीश कुमार की सरकार को परेशान कर रहा है. कोरोना के दौरान वापस आए प्रवासी मजदूरों का एक बड़ा तबका वापस नहीं दूसरे राज्य जाने में डर रहा है. वे अब प्रदेश में ही कुछ रोजगार तलाश रहे हैं. प्रदेश में पर्याप्त संख्या में अवसर नहीं होने पर सरकार पर इन मजदूरों को रोजगार देने का दबाव बढ़ा है. चुनावों में नीतीश कुमार को रोजगार के मुद्दे पर युवाओं के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है, लिहाजा उन्होंने बेरोजगारी भत्ता देने का बड़ा दांव चला है.