Opposition Unity Meeting Congress: कांग्रेस के भरोसे विपक्षी एकता की तैयारी में लगे नीतीश कुमार को एक के बाद एक झटका लगता नजर आ रहा है. एक तरफ तो बिहार में ही महागठबंधन के दल रहे हम के जीतन राम मांझी ने सीट शेयरिंग से पहले ऐसा शगुफा छोड़ा है कि उसे पचा पाना ही नीतीश कुमार के बस में नहीं लग रहा है. दूसरी तरफ 12 जून को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक में अब कांग्रेस की तरफ से जो खबर निकलकर आ रही है वह नीतीश को झटके का डबल डोज देने के लिए काफी है. 


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दरअसल नीतीश कुमार और उनका पार्टी की तरफ से दावा किया जा रहा था कि पटना में होनेवाली विपक्षी एकता की बैठक में कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे दोनों पधारेंगे लेकिन अब जो खबर आ रही है वह बिल्कुल ही चौंकाने वाली है. मतलब अब इस बैछक में ना तो मल्लिकार्जुन खरगे आएंगे और ना ही राहुल गांधी. कांग्रेस की तरफ से दो नेता इसमें शामिल होंगे जिसमें से एक नेता किसी राज्य का मुख्यमंत्री होगा. आपको बता दें कि इस बैठक में हेमंत सोरेन, ममत बनर्जी, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, डी राजा, सीताराम येचुरी समेत कई विपक्षी नेताओं के आने की बात कही जा रही है. 


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बैठक का एजेंडा 2024 के लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष की तरफ से 450 से 475 तक सीटों पर साझा उम्मीदवार को लेकर रणनीति पर चर्चा करने की है. हालांकि राजनीति के जानकारों की मानें तो इसको लेकर कर्नाटक में प्रचंड जीत के बाद से ही कांग्रेस सहज नहीं नजर आ रही है. क्योंकि जो फॉर्मूला इस बैठक के लिए तय हुआ है वह कांग्रेस के ही गले नहीं उतरने वाली है. ऐसे में बैठक में कुछ ज्यादा हो इससे पहले ही कांग्रेस ने अपने अध्यक्ष और राहुल गांधी को इससे अलग कर लिया है ताकि पार्टी की छवि को यहां उपजी असहमति के बाद ज्यादा नुकसान ना हो.  


कांग्रेस पार्टी की तरफ से इस बैठक को लेकर साफ कर दिया गया है. बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कह दिया कि बैठक में एक राज्य के मुख्यमंत्री और पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हिस्सा लेंगे. अखिलेश प्रसाद सिंह ने यह भी साफ कर दिया कि राहुल गांधी अपने अमेरिका दौरे से 12 जून तक वापस नहीं आ पाएंगे ऐसे में उनका बैठक में आना मुश्किल है. इससे पहले पार्टी की तरफ से जयराम रमेश ने बैठक की तारीख बढ़ाने की बात कही थी. अब ऐसे में साफ हो गया है कि विपक्षी एकता को एक झटका 2018 की तरह साफ लगता दिख रहा है. अगर कांग्रेस इस बैठक को ज्यादा तवज्जो नहीं देती है तो 2024 में भाजपा के खिलाफ एकजुट विपक्ष का नीतीश का सपना धरा का धरा रह जाएगा.