Lok Sabha Election 2024: नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड की नगालैंड में जमीन खिसक चुकी है. उसके एकमात्र विधायक ने बीजेपी गठबंधन सरकार को समर्थन दे दिया तो आनन फानन में नगालैंड ईकाई को भंग कर दिया गया. इससे जेडीयू आलाकमान की नींद उड़ गई है. अब नगालैंड में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए जेडीयू यूपी में साइकिल की सवारी की सोच रही है. जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने ऐलान कर दिया है कि जेडीयू यूपी में सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी. इस तरह बिहार में राजद तो यूपी में सपा के साथ जेडीयू का गठबंधन होगा. चर्चा तो इस बात की भी है कि नीतीश कुमार खुद उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. कहा जा रहा है कि यूपी के फूलपुर और मिर्जापुर से वे चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. हालांकि जेडीयू की ओर से अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है.


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यूपी में होगा समाजवादी पार्टी से गठबंधन: ललन सिंह 


जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि यूपी में पार्टी पहले कार्यसमिति को मजबूत करेगी और लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की मजबूती के लिए जमीन पर काम करेगी. उन्होंने कहा कि अगर यूपी में गठबंधन होगा तो वह सपा के साथ होगा. इस बीच जेडीयू के प्रदेशाध्यक्ष अनूप पटेल ने ललन सिंह के सामने ही इस्तीफा दे दिया और इसके बाद सत्येंद्र पटेल को राज्य संयोजक नियुक्त किया गया. ललन सिंह ने कहा कि पार्टी उत्तर प्रदेश में सदस्यता अभियान शुरू करेगी. इस अभियान के तहत पार्टी से पांच लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. ललन सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर हमने पीएम मोदी से मुलाकात की लेकिन कोई हल नहीं निकला. क्षेत्रीय दलों के समर्थन से हमने जातीय जनगणना शुरू की और इसे जारी रखेंगे. बता दें कि जातीय जनगणना पर बिहार में जो रुख जेडीयू का है, यूपी में वहीं रुख सपा का है.


नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की हवा निकली


पिछले साल यानी 2022 में एनडीए से दोबारा अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की बात कही थी और इसके लिए प्रयास भी कर चुके हैं, लेकिन उनको लेकर विपक्षी दलों में स्वीकार्यता नहीं बढ़ी. केसीआर ने उन्हें अपने सम्मेलन में नहीं बुलाया तो सोनिया गांधी ने दिल्ली में साथ में तस्वीर खिंचवाने से भी इनकार कर दिया. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के दलों के बीच गठबंधन इसी शर्त पर हुआ है कि बिहार तेजस्वी यादव तो दिल्ली की राजनीति नीतीश कुमार संभालेंगे. इस तरह जब तक नीतीश कुमार दिल्ली की राजनीति में सक्रिय नहीं होते, तेजस्वी यादव को राज्य की बागडोर नहीं मिलने वाली. इस बीच लैंड फॉर जॉब घोटाले में सीबीआई और ईडी की कार्रवाई ने लालू यादव परिवार के लिए एक अलग टेंशन खड़ा कर दिया है. इससे नीतीश कुमार पर राजद की ओर से पड़ रहे दबाव कम होता जा रहा है.


नगालैंड का नुकसान यूपी से भरने की कवायद 


हालांकि जब गठबंधन की बुनियाद ही बिहार में तेजस्वी और दिल्ली में नीतीश फॉर्मूले पर पड़ी है तो आज नहीं तो कल नीतीश कुमार को दिल्ली की राजनीति करने के लिए बिहार की सत्ता का मोह छोड़ना होगा. इसके लिए जेडीयू अन्य राज्यों में अपना आधार बनाने की कोशिश कर रही है. इसी कारण यूपी पर नीतीश कुमार की नजरें हैं और माना जा रहा है कि वे यूपी की फूलपुर या मिर्जापुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. बता दें कि इन दोनों सीटों पर कुर्मी वोटर बहुतायत में हैं और इस कारण नीतीश कुमार इन दोनों सीटों पर अपने लिए संभावना देख रहे हैं. हालांकि मिर्जापुर सीट पर अपना दल काबिज है और उसे डिगा पाना फिलहाल तो मुश्किल दिख रहा है.


दिल्ली दौरे में अखिलेश यादव से हुई थी मुलाकात


पिछली बार दिल्ली दौरे के दौरान नीतीश कुमार ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी और माना जा रहा है कि उसी समय यूपी को लेकर दोनों नेताओं के बीच वार्ता हुई. पिछले दिनों ललन सिंह ने नीतीश कुमार के यूपी से चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर रिएक्शन देते हुए कहा था कि नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं. फिलहाल उन्हें फूलपुर के अलावा अंबेडकर नगर और मिर्जापुर से भी चुनाव लड़ने की पेशकश की गई है. ललन सिंह ने यह भी दावा किया था कि अगर यूपी में सपा और जेडीयू साथ आ जाएगी तो बीजेपी 20 सीटों पर सिमट जाएगी. बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव ने नीतीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़ने का आफर दिया है और सपा के समर्थन का वादा भी किया है.