पटना: बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने रविवार को नीतीश कुमार की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. सिंह ने राजद नेता और राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अपना इस्तीफा भेजा. इस बात की पृष्टि बिहार आरजेडी के अध्यक्ष और उनके पिता जगदानंद सिंह ने किया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कानून मंत्री के बाद कृषि मंत्री का इस्तीफा
सुधाकर सिंह से पहले राज्य के कानून मंत्री रहे कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिकेय सिंह भी इस्तीफा दे चुके हैं. दोनों राजद के कोटे से मंत्री बने थे. कुल मिलाकर देखें तो राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के 2 महीने के अंदर ये दूसरा इस्तीफा है.


क्या बोले जगदानंद सिंह?
सुधाकर सिंह के इस्तीफे पर बिहार आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा, 'सुधाकर सिंह ने किसानों के हित में इस्तीफा दे दिया है. अतीत में, देश के किसानों ने बाजार समिति (मंडी) के लिए एक आंदोलन किया था. बिहार में, बाजार समिति से संबंधित कानून 2006 में समाप्त हो गया था. सुधाकर सिंह मांग कर रहे थे कि बिहार में मंडी कानून लागू करें ताकि किसानों को सीधा लाभ मिले. केवल मंडी कानून को लागू करने की आवश्यकता को बढ़ाने से मदद नहीं मिल सकती है. कभी-कभी, इसे बलिदान की आवश्यकता होती है. 


इस दौरान जगदानंद सिंह ने कहा कि अब यह तेजस्वी यादव पर निर्भर है कि वह उनका (सुधाकर) इस्तीफा उच्च अधिकारियों को भेजें.


सुधाकर का विवादों से पुरान नाता
सुधाकर सिंह के इस्तीफे के पीछे कई कारण हैं. पहला उनका बड़बोलाबन है. राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद से सिंह ने कई ऐसे बयान दिए जिसने सरकार की जमकर फजीहत कराई है. पहला बयान कृषि विभाग में भष्टाचार को लेकर है जिसमें उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि कृषि विभाग में भ्रष्टाचार नीचे से लेकर ऊपर तक हो रहा है. विभाग के अधिकारी 'चोर' हैं और वो उनके सरदार.'


सरकार की फजीहत करा रहे थे सिंह
इसके बाद सुधाकर सिंह ने एक कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर विभाग का कोई भी अधिकारी पैसे मांगे तो उसे 'जूते से मारिए.' सिंह के दोनों बयानों ने सरकार की जमकर फजीहत कराई थी. यहां तक की जब भी नीतीश कुमार से इसको लेकर सवाल किया जाए तो वो जवाब देने की बजाए ये कहें कि उन्होंने मंत्री का बयान नहीं सुना.


सुधाकर करा रहे थे सरकार की फजीहत
सूत्रों के अनुसार, सिंह के पहले बयान के बाद कैबिनेट मीटिंग में सीएम नीतीश कुमार ने इस पर आपत्ति जताई थी और उनसे बयान वापस लेने को कहा था लेकिन वो (सिंह) नाराज होकर चले गए. उन्होंने सरकार के भीतर भ्रष्टाचार के मुद्दे को सही बताया और अपने बयान पर कायम रहे. इस पर सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा था और कहा था कि अभी और कई विकेट गिरेंगे.


'जगदानंद सिंह की होगा छुट्टी'
सिंह के इस्तीफे के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और वर्तमान में राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा, '2 माह में बिहार सरकार का दूसरा विकेट गिरा. अभी नीतीश कुमार की और फजीहत होना बाकी है. यह लड़ाई अब जगता बाबू बनाम नीतीश कुमार की लड़ाई में बदल गई है. अगला विकेट जगता बाबू का भी हो सकता है?' 



सिंह के इस्तीफे का दूसरा सबसे बड़ा कारण तेजस्वी यादव का संदेश है. दरअसल, बीते दिनों राजद की राज्य परिषद की बैठक में तेजस्वी ने पार्टी के विधायक, सांसद, विधान पार्षदों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया था. उन्होंने कहा था कि हुड़दंग नहीं, शांति से काम करें. सबसे अच्छे व्यवहार करें और जरूरतमंद लोगों की समस्या सुनकर उनकी मदद करें. जिसमें सुधाकर सिंह फिट नहीं बैठ रहे थे. वो बार-बार अपने बयानों के जरिए सरकार को ही आंख दिखा रहे थे. दो बार उनको राजद सुप्रीमो लालू यादव ने तलब किया था लेकिन उसका उन पर कोई असर नहीं दिखा.


तीसरा सबसे बड़ा कारण उन पर लगे आरोप हैं. जानकारी के अनुसार, सिंह पर दो राइस मिल के जरिए सरकार से 5 करोड़ 31 लाख एक हजार 286 रुपये के घोटाले की एफआईआर दर्ज है. राज्य खाद्य निगम की ओर से उन पर केस दर्ज किया गया था. 


दूसरी ओर नीतीश कुमार ने दावा किया कि राज्य सरकार में भ्रष्टाचार का कोई मुद्दा नहीं है. नीतीश कुमार ने पहले कहा था कि अगर कोई भ्रष्टाचार करता है, तो वह जेल जाएगा.


नीतीश को खुश करना चाहते हैं तेजस्वी!
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुश करने के लिए  तेजस्वी यादव ने कथित तौर पर सुधाकर सिंह पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया था, जिसके बाद सिंह ने ये कदम उठाया.


नीतीश कुमार बयानों से नाराज!
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, राजद नेताओं की तरफ से हो रही बयानबाजी से नीतीश कुमार काफी नाराज बताए जा रहे हैं. पहले राजद के कई विधायक तेजस्वी को सीएम बनाने की मांग करते रहे हैं, तो वहीं कुछ दिन पूर्व शिवानंद तिवारी ने नीतीश को आश्रम जाने की सलाह दी तो अब जगदानंद सिंह ने 2023 में तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की बात कह डाली. इस पर खुद तेजस्वी को सफाई देनी पड़ी थी. ये सभी बयान नीतीश को पसंद नहीं आ रहे थे और वो अंदर से नाराज बताए जा रहे थे. ऐसे में सुधाकर सिंह का इस्तीफा दिलवाकर तेजस्वी ने कुछ हद तक नीतीश को मनाने की कोशिश की है.


सूत्र ये भी बताते हैं कि तेजस्वी यादव अबकी बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. उनका पूरा फोकस 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव पर है और वो कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहते जिससे जनता में गलत संदेश जाए. ऐसे में तेजस्वी अपना हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं.


ये भी पढ़ें-बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा, दिया था ये बयान