Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने सहयोगी जीतन राम मांझी की बड़ी मांग को स्वीकार कर लिया है. मांझी को खुश करने के लिए महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने का फैसला लिया गया है. ये फैसला राजद कार्यालय में सोमवार (29 मई) को हुई महागठबंधन की बैठक में लिया गया है. राजद-जदयू के नेतृत्व में बने महागठबंधन में शामिल छोटे दल खासतौर पर जीतन राम मांझी लगातार इसकी मांग कर रहे थे. मांझी का कहना था कि सरकार में शामिल दलों के बीच सामन्जस्य नहीं है. 


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महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी न बनाए जाने से जीतन राम मांझी इतने नाराज थे कि उन्होंने महागठबंधन सरकार से अलग होने का भी इशारा दे दिया था. बता दें कि महागठबंधन की सरकार में ऐसे कई मौके जब तकरार देखने को मिली. हाल ही में जब राजद ने तेजस्वी यादव को बिहार की विरासत सौंपने की मांग की गई थी, तब भी छोटे दलों ने इसका विरोध किया था. सरकार में शामिल छोटे दलों का कहना था कि भविष्य में किसे मुख्यमंत्री बनाना है इसका फैसला कोई एक पार्टी नहीं बल्कि सर्वसम्मति से होना चाहिए. 


वहीं 2024 के लिए विपक्षी एकता की मुहिम में जुटे नीतीश कुमार के लिए अपनी सरकार को बचाए रखना बेहद जरूरी है. नीतीश जानते हैं कि यदि 2024 से पहले उनकी ही सरकार गिर जाएगी, तो उनका पीएम बनने का सपना भी टूट जाएगा. इसी के मद्देनजर वह कोआर्डिनेशन कमेटी गठित करने के लिए राजी हो गए हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या अब मांझी महागठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे? क्या अब मांझी अपनी दूसरी मांग को छोड़ देंगे?


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दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव में मांझी ने महागठबंधन में 5 सीटों की डिमांड की है. हम अध्यक्ष संतोष मांझी ने भी इसी मांग को दोहराया है. उन्होंने साफ कहा है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की जाएगी तो वो अपने लिए नया विकल्प खोजेंगे. वहीं महागठबंधन की भीड़ में राजद-जदयू के लिए मांझी की इस मांग को पूरा करना नामुमकिन सा लग रहा है.