केंद्रीय बजट से पहले मोदी सरकार ने नीतीश कुमार की बहुप्रतीक्षित मांग को खारिज कर दिया है. संसद के बजट सत्र के पहले ही दिन मोदी सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को खारिज कर दिया है. केंद्र सरकार की ओर से वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, मौजूदा प्रावधानों के हिसाब से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है. मोदी सरकार के इस फैसले से नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को खासतौर से झटका लगा है, जिसने सबसे पहले बिहार के लिए विशेष पैकेज की मांग को उठाया था. अब सवाल यह है कि मोदी सरकार ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को तो खारिज कर दिया है, लेकिन क्या विशेष आर्थिक पैकेज की मांग को मोदी सरकार स्वीकार करेगी. क्या मोदी सरकार की खजांची निर्मला सीतारमण बिहार के लिए मंगलवार यानी 23 जुलाई को पेश हो रहे बजट में कोई आर्थिक पैकेज का ऐलान कर सकती हैं?


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बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग अरसे हो होती रही है. झारखंड के अलग होने के बाद से बिहार के नेताओं ने इसके समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की थी. हालांकि 24 साल बाद भी इस पर केवल राजनीति होती रही है. विशेष इसे राज्य के दर्जे को लेकर सोमवार को जेडीयू के सांसद रामप्रीत मंडल ने सरकार से सवाल पूछा तो वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने क्लीयर कह दिया कि बिहार विशेष राज्य के दर्जे दिए जाने की क्राइटेरिया में फिट नहीं बैठता. पंकज चौधरी ने कहा, पूर्व में राष्ट्रीय विकास परिषद ने कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया था, जिनकी कई विशेषताएं थीं. इन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत थी. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में बिहार को लेकर एक अंतर मंत्रालयी समूह बनाया गया था, जिसने 2012 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता.


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जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा भी कहते हैं कि अगर केंद्र सरकार को विशेष राज्य का दर्जा देने में दिक्कत है तो हमने विशेष आर्थिक पैकेज की मांग भी की है. संजय झा का कहना है कि हमने बिहार में बाढ़ की समस्या को केंद्र सरकार के सामने रखा है, जिसका कारण नेपाल का पानी है. इस मसले पर भारत सरकार ही नेपाल से बात कर सकती है. संजय झा ने यह भी कहा कि हमें सरकार से उम्मीद है कि वह हमारी मांगों पर विचार करेगी.


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सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जोर शोर से उठाया था और उन्होंने इसे बिहारी प्राइड से भी जोड़ने की कोशिश की थी. 2015 में महागठबंधन में जाने के बाद से इस मुद्दे ने और जोर पकड़ा, क्योंकि राजद के साथ नीतीश कुमार ने भाजपा पर दबाव बनाने की पूरी कोशिश की थी. हालांकि नीतीश कुमार की फ्लिप फ्लॉप की पॉलिटिक्स ने इस मुद्दे को राजनीति का मुद्दा ही बनने दिया. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का मुद्दा कभी भी जनता का मुद्दा नहीं बन पाया.