One Nation One Election: चौंकाने वाले फैसलों के लिए जाने जाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राजनीतिक विश्लेषकों के अलावा विपक्षी दलों को चौंका दिया है. 11 अगस्त को ही संसद के मानसून सत्र का समापन हुआ और अब 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच संसद के विशेष सत्र का आयोजन किया जा रहा है. हालांकि संसद के विशेष सत्र का कोई एजेंडा नहीं बताया गया है लेकिन संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि 2—4 दिन में विशेष सत्र का एजेंडा भी सामने आ जाएगा. इस बीच मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी बना दी है, जो एक देश एक चुनाव पर काम करने वाली है. बता दें कि जी न्यूज ने 24 जून को ही बता दिया था कि मोदी सरकार नए संसद भवन में ऐतिहासिक बिल ही पेश करेगी. जी न्यूज ने यह भी बताया था कि सरकार वन नेशन, वन इलेक्शन भी लागू कर सकती है. और अब सरकार उसी दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है. 


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देश को भले ही आज पता चला है कि सरकार वन नेशन वन इलेक्शन पर आगे बढ़ रही है, लेकिन जी न्यूज ने बता दिया था कि नए संसद भवन में सरकार ऐसा बिल लेकर आएगी, जो ऐतिहासिक हो. ऐसा बिल जो देश में अपनी छाप छोड़ सके. जी न्यूज ने संभावना जताई थी कि इस तरह का बिल समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी हो सकता है. चुनाव सुधार बिल यानी वन नेशन वन इलेक्शन हो सकता है. जनसंख्या नियंत्रण बिल हो सकता है. ओल्ड पेंशन स्कीम पर सरकार कुछ नया ला सकती है, इस बात की भी संभावना हमने जता दी थी. 


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मोदी सरकार ने तय समय से पहले ही नया संसद भवन बनाकर रिकॉर्ड बनाया था. ऐसे में नए संसद भवन में सबसे पहले पेश किया जाने वाला बिल भी ऐतिहासिक ही होगा. संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर जहां पूरा विपक्ष बहिष्कार कर रहा था, वहीं पीएम मोदी और उनका थिंक टैंक इस बात पर मंथन कर रहा था कि नए संसद भवन में पहला बिल कौन पेश किया जाएगा. 


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वैसे तो वन नेशन वन इलेक्शन कोई नया कांसेप्ट नहीं है लेकिन लंबे समय से इसके लिए वकालत की जा रही है. हालांकि किसी भी सरकार ने इस पर आगे बढ़ने की जहमत नहीं उठाई. लाल किले की प्राचीर से भी पीएम मोदी ने इस बात की वकालत की थी. पीएम मोदी का तर्क था कि देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है जिससे विकास कार्यों में बाधा आती है. पूरे देश में कही न कही चुनाव हो रहा होता है. कहीं पंचायत चुनाव तो कहीं नगर निकाय चुनाव तो कही विधानसभा चुनाव. लोकसभा चुनाव के साथ ही कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराए जाते रहे हैं. इससे देश में विकास की गति धीमी हो जाती है.