Opposition Unity: विपक्षी एकता की मुहिम में जुटे नीतीश कैसे साधेंगे बिहार? 40 सीटों को 7 दलों में बांटना चुनौती
बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार 7 दलों के समर्थन से सरकार चला रहे हैं. इनके बीच 40 सीटों का बंटवारा करना बड़ी टेढ़ी खीर होगी.
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए विपक्षी एकता के सूत्रधार बने मुख्यमंत्री कुमार काफी जद्दोजहद के बाद पटना में विपक्ष की बैठक आयोजित करने में सफल होते दिखाई दे रहे हैं. अब 23 जून को पटना में मोदी विरोधी नेताओं का जमावड़ा लगेगा. नीतीश ने इससे पहले 3 बार कोशिश की थी, लेकिन संयोग नहीं बन पाया था. नीतीश भले ही देशभर में विपक्ष को एकजुट कर लें, लेकिन क्या वो बिहार में महागठबंधन को साथ लेकर चल पाएंगे? ये सवाल इसलिए उठता है क्योंकि प्रदेश में लोकसभा की सिर्फ40 सीटें हैं और महागठबंधन में 7 दल शामिल हैं.
महागठबंधन में अभी से सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान देखने को मिल रही है. हम के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पहले ही 5 सीटों की डिमांड कर चुके हैं. उन्होंने साफ कहा कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वो दूसरा ठिकाना भी ढूंढ़ सकते हैं. मांझी की इस तरह की बयानबाजी को देखते हुए नीतीश कुमार अब उन्हें साइड करने की सोच रहे हैं. शायद इसीलिए मांझी को विपक्ष की बैठक का निमंत्रण नहीं मिला है. दूसरी तरफ सरकार की दूसरी सहयोगी लेफ्ट भी 5 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.
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महागठबंधन में सीट बांटना आसान नहीं
महागठबंधन में राजद और जदयू का ही बोलबाला है. इसमें भी इस वक्त राजद सबसे बड़ी पार्टी है, जदयू दूसरे नंबर पर है. बीजेपी के साथ नीतीश हमेशा 50-50 वाले फॉर्मूले पर चुनाव लड़ते थे, यानी बीजेपी और जदयू बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ते थे. उसके बाद जितनी सीटें बचती थीं वो एनडीए में शामिल अन्य दलों को दी जाती थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि 6 सीटें लोजपा को दी गई थीं. उस चुनाव में जेडीयू के हिस्से में 16 सीटें आई थीं. वहीं महागठबंधन में राजद 19 और कांग्रेस 9 सीटों पर लड़ी थी.
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कौन देगा कुर्बानी?
इस बार किसी भी सूरत में सीटों की ये संख्या नहीं रह सकती है. विपक्ष को एकजुट रखने के लिए किसी ना किसी को तो कुर्बानी देनी होगी, अब देखना ये होगा कि ये कुर्बानी कौन देता है? पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि 6 विधानसभा सीटों के बराबर एक लोकसभा सीट को माना जाता है. इस लिहाज से देखा जाए तो आरजेडी के कोटे में 14 और जेडीयू के कोटे में 8 सीटें बनती हैं. हालांकि, नीतीश शायद ही इस फॉर्मूले पर राजी हों. दूसरा फॉर्मूला ये है कि नीतीश और तेजस्वी दोनों 12-12 सीटों पर खुद लड़ें और बाकी बची सीटें अन्य सहयोगियों को दे दी जाएं.