Opposition Unity: NDA से टक्कर के लिए UPA बनेगा PDA!, क्या कांग्रेस को मंजूर होगा ये फैसला?
पटना में हुई बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से विपक्षी दलों का संयोजक चुना गया है. मतलब साफ है कि विपक्षी एकता की अगुवाई के लिए वो अधिकृत कर दिए गए हैं. इतना ही नहीं बीजेपी नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को हराने के लिए अब UPA को समाप्त करके PDA यानि पेट्रियोटिक डेमोक्रेटिक एलाइंस की स्थापना की जाएगी.
Patriotic Democratic Alliance: विपक्षी एकता की मुहिम में जुटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पहली परीक्षा पास कर ली है. उन्होंने पटना में उन नेताओं को एक छत के नीचे खड़ा कर दिया, जिनकी आपस में कभी नहीं पटती. पटना में हुई बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी दलों का संयोजक चुना गया है. अभी तक इस भूमिका को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी निभा रही थीं. इतना ही नहीं अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले UPA को समाप्त करके PDA यानि पेट्रियोटिक डेमोक्रेटिक एलाइंस की स्थापना की जाएगी. पटना बैठक में ही यूपीए का नाम बदलने पर चर्चा हुई थी. शिमला बैठक में सभी दल नया नाम प्रस्तुत करते, उसमें से जो सही लगता उसे फाइनल कर दिया जाता है.
अब सीपीआई के महासचिव डी. राजा ने अभी से नए नाम पर मुहर लगा दी है. उन्होंने कहा कि भाजपा-विरोधी दलों के गठबंधन को देशभक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (Patriotic Democratic Alliance) का नाम दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि शिमला में अगले महीने होने वाली बैठक में इस फैसले पर मुहर लग जाएगी. अब सवाल ये है कि क्या संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) को भंग करने का निर्णय लेना आसान नहीं होगा? क्या नए गठबंधन में भी कांग्रेस पार्टी को उतना ही महत्व मिलेगा और क्या कांग्रेस किसी क्षेत्रीय दल के नेता का नेतृत्व बर्दाश्त करेगी?
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वहीं वामपंथी राष्ट्रीय नेता ने नया नाम बताकर नई बहस छेड़ दी है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि देश में यूपीए अस्तित्व में है, जिसकी चेयरपर्सन सोनियाजी हैं. उसे खत्म करने या नया गठबंधन बनाने का फैसला राष्ट्रीय स्तर के नेता ही कर सकते हैं. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि महागठबंधन के आह्वान पर पटना में बैठक हुई थी. बैठक में किसी नए नाम को फाइनल किया जाता तो इसकी जानकारी दी भी जाती और हमारे पास भी होती.
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उधर पटना में हुई महाबैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया था. बैठक में राहुल गांधी को खास तवज्जो दी गई. राहुल को मिले स्पेशल फुटेज से साफ हो गया कि विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस कितनी अहम है. मीटिंग ने राहुल गांधी के निशाने पर मोदी सरकार रही. बीजेपी को हराने के लिए उन्होंने एकजुटता पर जोर दिया. इस दौरान उन्होंने विपक्ष की सबसे बड़ी कमी को उजागर किया. उन्होंने कबूल किया कि सभी दलों में कुछ न कुछ मतभेद हैं. उन्होंने कहा कि मतभेद भले हों, लेकिन सबका इरादा एक है- बीजेपी को हराना.