Pashupati Paras News: पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने शनिवार (27 जुलाई) को देश के कई राज्यों के राज्यपाल बदल दिए. राष्ट्रपति भवन द्वारा इसे लेकर एक विज्ञप्ति भी जारी की गई है, जिसमें सभी राज्यपालों की नई नियुक्ति के बारे में जानकारी दी गई है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा कुछ नए राज्यपाल नियुक्त किए गए हैं तो कुछ पुराने गवर्नर को एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट किया गया है. नए राज्यपालों में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं के नाम हैं, लेकिन इस लिस्ट में  राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस का नाम नजर नहीं आया. अब इसको लेकर बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है. सियासी जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी को तेवर दिखाना पशुपति पारस को भारी पड़ रहा है. 


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कहा जा रहा है कि बीजेपी ने पशुपति पारस को छोड़कर बिहार में अपने सारे सहयोगियों को सेट करके रखा है. नीतीश कुमार की जेडीयू से दो नेता केंद्र में मंत्री का हिस्सा हैं. नीतीश कुमार को खुश करते हुए बजट में बिहार को स्पेशल पैकेज भी मिल चुका है. हम से जीतन राम मांझी और लोजपा-आर से चिराग पासवान मोदी कैबिनेट का हिस्सा हैं. इतना ही नहीं काराकाट सीट से चुनाव हारने के बाद भी रालोमो अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजा जा रहा है. बस पशुपति पारस को कुछ नहीं मिला. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की ओर से पशुपति पारस को राज्यपाल बनाने का वादा किया गया था, लेकिन पारस की एक गलती ने उन्हें इस स्थिति में पहुंचा दिया.  


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दरअसल, लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चाचा पशुपति पारस की जगह उनके भतीजे चिराग पासवान को ज्यादा तरजीह दी थी. इस पर पशुपति पारस ने लोकसभा चुनाव से पहले प्रेशर पॉलिटिक्स अपनाते हुए मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. उनके ऐसा करने पर उनकी पार्टी के सारे सांसद इधर-उधर हो गए. जिसके बाद पारस ने अपनी भूल सुधारी और एनडीए का हिस्सा बने रहे. हालांकि, इसके बाद भी वह कहीं चुनाव प्रचार करते हुए नहीं दिखे. अब बीजेपी भी उनको भूल चुकी है.