झारखंड रैली में जमकर बरसे राहुल गांधी, कहा- संविधान के लिए रक्षक नहीं भक्षक है BJP
Rahul Gandhi Speech: राहुल गांधी के इस बयान के बाद झारखंड की राजनीति में हलचल मच गई है. बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल को अपनी पार्टी का इतिहास याद करना चाहिए. उन्होंने याद दिलाया कि राहुल गांधी की दादी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाकर संविधान की मूल भावना को कमजोर किया था.
रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में एक बार फिर संविधान को लेकर विवाद गर्म हो गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि INDIA गठबंधन के लोग संविधान की रक्षा कर रहे हैं, जबकि बीजेपी और आरएसएस संविधान को खत्म करना चाहते हैं. राहुल गांधी ने संविधान को सिर्फ एक किताब न मानते हुए इसे बिरसा मुंडा, डॉ. अंबेडकर, ज्योतिबा फुले और महात्मा गांधी की सोच का प्रतीक बताया. उनके अनुसार संविधान देश के आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और गरीबों की रक्षा करता है और INDIA गठबंधन यही चाहता है कि देश संविधान के आधार पर चले.
राहुल गांधी के इस बयान के बाद झारखंड की राजनीति में हलचल बढ़ गई है. बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल को अपनी पार्टी का इतिहास याद करना चाहिए. उन्होंने इशारा किया कि राहुल गांधी की दादी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाकर संविधान की मूल भावना को कमजोर किया था. उन्होंने 42वें संशोधन के जरिए संविधान के कई प्रावधानों में बदलाव किए थे. प्रतुल शहदेव ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग पहले संविधान को बदलते थे, वही अब इसे बचाने की बात कर रहे हैं.
इसके अलावा दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रवक्ता डॉ. तनुज खत्री ने कहा कि पिछले दस सालों में बीजेपी ने कई बार संविधान में बदलाव की कोशिश की है, लेकिन देश की जनता और लोकतांत्रिक ताकतें संविधान के साथ मजबूती से खड़ी हैं और उसकी रक्षा कर रही हैं. खत्री ने कहा कि झारखंड के चुनावों में जनता बीजेपी के इन मंसूबों पर पानी फेर देगी और लोकतंत्र और संविधान को बहाल रखेगी.
इस तरह झारखंड चुनाव में संविधान का मुद्दा केंद्र में आ गया है. दोनों पक्ष संविधान को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं और यह मुद्दा राज्य के चुनावी माहौल को गरमाता जा रहा है. जनता की भूमिका अब अहम हो गई है कि वे किस ओर झुकते हैं, क्योंकि ये चुनाव लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का प्रतीक बन गए हैं.
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