Wrestler Protest: देश में पिछले कुछ समय से चुनाव के समय आंदोलन या धरने का एक ट्रेंड चल रहा है. जब भी कोई चुनाव आता है कोई ना कोई आंदोलन शुरू हो जाता है. एक बार फिर से ऐसा ही हुआ. कर्नाटक चुनाव में वोटिंग से ठीक पहले पहलवानों का धरना एक बार फिर से शुरू हो चुका है. भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट सहित पदक विजेता कई पहलवान एक बार फिर से धरने पर बैठे हैं. पहलवानों के मंच का मंच अब राजनीतिक अखाड़ा बन चुका है. यहां प्रियंका गांधी वाड्रा और अरविंद केजरीवाल सहित तमाम विपक्षी नेता पहुंचकर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं. 


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उधर बृजभूषण पहले से ही आंदोलन को राजनीतिक साजिश बता चुके हैं. इन तमाम घटनाओं से अब धरने पर सवाल उठने लगे हैं. पहलवानों के धरने पर शक करने की कई वजह हैं. पहली- पहलवानों से मुलाकात करके केंद्रीय खेल मंत्री ने एक जांच समिति का गठन किया था, समिति की रिपोर्ट आने से पहले ही धरना फिर क्यों शुरू हुआ. पहलवानों को क्यों लगता है कि जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं की जाएगी, जबकि जब समिति का गठन हो रहा था तो किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी. 


दूसरी वजह ये है कि आखिर चुनावी मौसम में ही क्यों कोई ना कोई आंदोलन खड़ा हो जाता है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटिंग से ठीक पहले दोबारा से पहलवानों ने धरना शुरू कर दिया. प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है, जबकि इस चुनाव में कांग्रेस वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. पहलवानों के धरने का मुद्दा कर्नाटक चुनाव में भी खूब गूंज रहा है. विपक्ष की ओर से इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की जा रही है. 


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शक करने की तीसरी वजह ये है कि इस धरने में देश के सभी पहलवान शामिल क्यों नहीं हैं? ज्यादातर पहलवान हरियाणा से ही क्यों हैं? क्या इस धरने के जरिए हरियाणा चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है? दरअसल आने वाले साल में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रदेश में इस वक्त बीजेपी की सरकार है. इससे पहले दिल्ली चुनाव के वक्त शाहीन बाग का धरना और यूपी-पंजाब चुनाव से ठीक पहले किसान आंदोलन को लोग देख चुके हैं. इस धरने का असर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है.