Bihar Politics: लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आए हुए करीब-करीब दो सप्ताह का समय बीत चुका है, लेकिन नतीजों की चर्चा अभी तक हो रही है. उत्तर प्रदेश के नतीजों ने जहां सबको हैरत में डाला तो वहीं बिहार के जनादेश ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी को और आगे बढ़ा दिया. लोकसभा चुनावों से पहले लोग कहते थे कि नीतीश कुमार के रिटायरमेंट के दिन करीब आ गए हैं, वहीं रिजल्ट आने पर मुख्यमंत्री किंगमेकर साबित हुए. अब दिल्ली में सरकार चलाने के लिए बिहार में बीजेपी को 2025 में भी नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार है. वहीं इस चुनाव में तेजस्वी यादव एक बार फिर से असफल साबित हुए. रिजल्ट से साबित हो गया कि नीतीश कुमार के सामने तेजस्वी यादव अभी बच्चे हैं. 


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इस चुनाव में तेजस्वी यादव ने 250 से ज्यादा रैलियां की थी. मुकेश सहनी ने हेलीकॉप्टर में केक कटवाकर बकायदा इसका जश्न मनाया था. अपने ताबड़तोड़ प्रचार के दौरान तेजस्वी की पीठ में दर्द की समस्या हो गई थी. उनकी जनसभाओं में रोजगार के मुद्दे पर कतार में खड़े युवाओं और सोशल मीडिया पर उनकी हनक को देखते हुए सियासी जानकर उनमें बिहार का भविष्य देखने लगे थे. अब जनादेश सबके सामने है. एनडीए नेताओं ने लालू यादव के शासनकाल में फैले जंगलराज की याद दिलाकर वोट अपनी तरफ खींच लिए. चुनावी नतीजों से साफ है कि तेजस्वी यादव को राजद के ऊपर लगे भ्रष्टाचार और जंगलराज के आरोपों से नुकसान उठाना पड़ा है. 


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एक-आध छोटे दलों को अगर रहने दें तो बिहार में एनडीए और महागठबंधन का स्वरूप लगभग 2019 के ही समान था. वहीं 2024 और 2019 के नतीजों के बीच अगर तुलना करें तो NDA और INDIA ब्लॉक के प्रदर्शन में भी बड़ा बारीक अंतर निकल कर सामने आया है. इससे पहले बिहार विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार के सामने तेजस्वी यादव फिनिशिंग लाइन पार नहीं कर पाए थे. वो बहुमत से करीब 10 सीटें पीछे रह गए थे. विधानसभा चुनाव के दौरान भी चुनावी प्रचार में तेजस्वी यादव निकलते दिखाई दे रहे थे. इसके बाद एनडीए ने लालू यादव के शासनकाल की याद दिलानी शुरू की. जब परिणाम आए तो NDA को 125 तो महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं. 


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 तेजस्वी ने अब राजद पर लगे जंगलराज के दाग मिटाने के लिए नई रणनीति बनाई है. वह अब नीतीश कुमार के सुशासन बाबू की इमेज पर ही हमला कर रहे हैं. तेजस्वी ने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि बिहार में डबल इंजन सरकार के बनावटी मंगलराज में चंद घंटों की डरावनी झलकियां. बिहार में इंसान की जान की कोई क़ीमत नहीं. जब चाहे जहां चाहे सरकारी अपराधी किसी को भी गोली मार रहे है. मुख्यमंत्री सहित सरकार को कोई सत्ता संरक्षित आपराधिक घटनाओं पर कोई लेना-देना नहीं.