Upendra Kushwaha News: वैसे तो राजनीति में मनमुटाव किसी एक बात से नहीं होती. उसकी पृष्ठभूमि बनती रहती है और कोई एक मसला ऐसा उछल जाता है कि मामला आर पार तक ले जाता है. बिहार में यही हुआ. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) में तनातनी चली आ रही थी लेकिन जब से नीतीश कुमार ने बिहार में निकाली गई समाधान यात्रा (Nitish Kumar Samadhan Yatra) में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही, उपेंद्र कुशवाहा खुलकर सामने आ गए. उन्होंने इस बात का मुखर विरोध किया और खुद को नीतीश कुमार के बाद नंबर 2 के रूप में प्रोजेक्ट भी किया. लेकिन बात बनी नहीं और फिर उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी से दूर जाना पड़ा. आनन फानन में ललन सिंह (Lallan Singh) को इस बात पर सफाई देनी पड़ी कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में 2025 का चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) लड़ने की अभी कोई योजना नहीं. 


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नीतीश कुमार को डर, उपेंद्र की राह न चले कोई और 


दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा की बगावत के बाद जेडीयू को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं तेजस्वी के मसले पर फिर कोई दूसरा नेता उपेंद्र कुशवाहा की लाइन पर न चलने लगे और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा हिस्सा पार्टी से दूर न हो जाए. इसी कारण जल्दबाजी में ललन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस तरह का कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया है और चुनाव के मौके पर बैठकर यह तय किया जाएगा कि सीएम उम्मीदवार कौन होगा.


जेडीयू को बेस वोट बैंक भी बिखरने का डर 


नीतीश कुमार और ललन सिंह को डर है कि पहले आरसीपी सिंह और अब उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी से जाने का कोई बड़ा असर जमीन पर न दिखे. अगर ऐसा होता है तो जेडीयू का बेस वोट बैंक ही बिखर जाएगा. दरअसल, आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के स्वजातीय हैं और उपेंद्र कुशवाहा कोइरी जाति से आते हैं. इन्हीं दोनों जातियों के बल पर ही लव कुश समीकरण बनाया गया था, जिसके बलबूते नीतीश कुमार आज तक बिहार की राजनीति के अबूझ पहेली बने हुए हैं.


नीतीश कुमार ने ही डाली थी लूज बॉल  


नीतीश कुमार और जेडीयू के रणनीतिकारों का मानना है कि आरसीपी सिंह के बाद उपेंद्र कुशवाहा का मसला बीजेपी ने खड़ा किया हुआ है. इसी कारण उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी छोड़ने का जो बहाना बनाया, वो जेडीयू के लिए बहुत ही नुकसानदायक है. दरअसल, नीतीश कुमार ने ही तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव में जाने की बात कहकर विरोधियों को लूज बॉल डाली थी. अब जब आप बीजेपी के सामने लूज बॉल डालते हैं तो खामियाजा तो आपको उठाना ही पड़ेगा.