लालू के पटना पहुंचते ही बिहार की राजनीति में आखिर ऐसा क्या होगा? जिस पर सब पार्टियों की है नजर
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से सिंगापुर में हीं स्वास्थ लाभ ले रहे हैं. धीरे-धीरे उनकी सेहत बेहतरीन हो रही है. वहीं बिहार में लगातार सियासी संग्राम जारी है. अब तो महागठबंधन के भीतर भी सियासी तूफान आया हुआ है.
पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से सिंगापुर में हीं स्वास्थ लाभ ले रहे हैं. धीरे-धीरे उनकी सेहत बेहतरीन हो रही है. वहीं बिहार में लगातार सियासी संग्राम जारी है. अब तो महागठबंधन के भीतर भी सियासी तूफान आया हुआ है. राजद और जदयू के नेताओं के बीच एक दूसरे पर तंज कसने के सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं दूसरी तरफ जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा के बागी तेवर की वजह से जदयू अलग ही परेशानी में है. ऐसे में बिहार में जदयू और राजद गठबंधन का भविष्य क्या होगा इसपर अभी कुछ कहना मुश्किल सा लग रहा है.
लालू यादव के जल्द ही पटना लौटने की खबर आ रही है. इसके बाद से बिहार में सियासी पारा सातवें आसमान पर आ गया है. हाल ही में बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर गौर करें या फिर उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा लगातार बगावती तेवर पर नजर डालें ऐसा लगने लगा है कि बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही सियासी भूचाल आनेवाला है.
उपेंद्र कुशवाहा तो पार्टी के अंदर रहकर नीतीश का विरोध करने पर आमादा हैं और साथ ही यह भी धमकी दे रहे हैं कि पार्टी से वह बाहर नहीं जाएंगे. वह सीधे तौर पर अब नीतीश पर निशाना साध रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ आपको बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी RLSP के चुनाव चिन्ह को भी बचा रखा है, ऐसे में साफ तौर पर संकेत मिल रहे हैं कि बिहार में कुछ नया सियासी बवाल होनेवाला है.
उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी के साथ पहले भी एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं. ऐसे में अब किस कीमत पर वह जदयू को छोड़कर जाएंगे और उनके जाने का कितना नुकसान पार्टी को उठाना पड़ेगा यह तो समय के साथ ही नजर आएगा. आपको बता दें कि नीतीश कुमार भी साफ लहजे में कह चुके हैं कि जिसे जाना है वह जा सकता है.
अब बिहार के तमाम सियासी दल और खासकर विपक्ष में बैठी पार्टियां तो इस बात के इंतजरा में है कि लालू यादव कब पटना लौटेंगे और उनके लौटते हीं बिहार में सियासी तूफान कैसा होगा. नीतीश की घोषणा तो याद ही होगी कि महागठबंधन 2025 का विधानसभा चुनाव डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की अगुवाई में लड़ेगी. इससे बिहार में महागठबंधन के बीच सब सामान्य हो सकता था लेकिन नीतीश का यह बयान भी मरहम के काम नहीं आया. कुढ़नी और गोपालगंज उपचुनाव में महागठबंधन की हार के बाद राजद की बेचैनी बढ़ गई. ऐसे में राजद के नेता अब यह मानने लगे हैं कि नीतीश मतदाताओं को रिझाने में अब सफल नहीं होते हैं ऐसे में अब तेजस्वी को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही बिहार में सीएम के पद पर काबिज हो जाना चाहिए.
इससे पहले भी इस तरह के कई बयान आते रहे हैं जैसे राजद के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह ने कहा था कि देश को नीतीश का इंतजार है और बिहार को तेजस्वी का.उन्होंने तो यहां तक कह दिय था कि 2023 में ही तेजस्वी बिहार के सीएम बन जाएंगे. ऐसे में समझना आसान है कि बिहार में राजनीति का मन कितनी तेजी से बदल रहा है.
नीतीश के बिना इजाजत के भी तेजस्वी को कैसे सीएम बनाया जाए इसपर भी लगातार राजद काम कर रही है. बता दें कि राजद के नेता पर्दे के पीछे इसे लेकर डील भी कर रहे हैं लेकिन इस सब के बीच सबसे अहम फैसला तो लालू यादव की तरफ से ही आना है.
हालांकि नीतीश कुमार इन सारे मामले को करीब से देख रहे हैं और परिस्थितियों पर उनकी हमेशा पैनी नजर रहती है. ऐसे में लालू के फैसले और नीतीश की नजर दोनों को जब तक बिहार की राजनीति में सही से नहीं आंका जाएगा यह कहना अबी कठिन होगा कि बिहार की राजनीति में आनेवाला भूचाल कितनी देरी से या कितनी जल्दी आएगा.