Who is Dilip Jaiswal: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपने सारे कील-कांटों को दुरुस्त करने में जुटी है. इसी कड़ी में पार्टी ने प्रदेश के संगठन स्तर पर गुरुवार (25 जुलाई) की रात को बड़ा बदलाव कर दिया. पार्टी ने सम्राट चौधरी की जगह अब दिलीप जायसवाल को बिहार बीजेपी की कमान सौंपी है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की तरफ से एक पत्र जारी करके इसका ऐलान किया. लेटर में लिखा था कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिलीप जायसवाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. बता दें कि करीब 16 महीने पहले 23 मार्च 2023 को सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उनके नेतृत्व में ही पार्टी ने बिहार में लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में पार्टी को 12 सीटें मिलीं, जबकि एनडीए गठबंधन को 30 सीटें मिलीं. 


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कौन हैं दिलीप जायसवाल?


दिलीप जायसवाल को अमित शाह का करीबी नेता बताया जाता है. वह मूल रूप से खगड़िया जिले के रहने वाले हैं और किशनगंज क्षेत्र से तीसरी बार विधान पार्षद हैं. वह 20 से अधिक वर्षों तक बिहार बीजेपी के कोषाध्यक्ष रहे हैं और अभी नीतीश सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री हैं. बिहार विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के वर्तमान उप मुख्य सचेतक भी हैं. संगठन में काम करते हुए वह वर्तमान में सिक्किम के प्रभारी हैं. जायसवाल ने एमएससी, एमबीए, पीएचडी और एमफिल तक शिक्षा ग्रहण की है. वे हमेशा सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में लगे रहते हैं.


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पार्टी को उनमें क्या दिखी क्वालिटी?


विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप कर बड़ा दांव चला है. कहा जा रहा है कि अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने के साथ-साथ पार्टी ने अपने कोर वोटर का ख्याल रखा है. विधानसभा चुनाव से पहले 'वैश्य' वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में पार्टी द्वारा एक बड़ा कदम माना जा रहा है. दिलीप जायसवाल से पहले संजय जायसवाल भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन ने सम्राट चौधरी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो पार्टी के लिए अपनी जाति, कुशवाहा और कोइरी के वोट हासिल करने में विफल रहे. जिसके परिणामस्वरूप बीजेपी ने बिहार में लड़ी गई 17 सीटों में से केवल 12 पर ही जीत हासिल की. ​​उनके लिए इससे भी बुरी बात यह रही कि पारंपरिक रूप से बीजेपी का वोट बैंक रहा कुशवाहा वोट बैंक राजद में चला गया.