Bihar Politics: बिहार की एनडीए सरकार के लिए आज (सोमवार, 12 फरवरी) का दिन काफी अहम है. सरकार को आज विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना है. फ्लोर टेस्ट को लेकर विधानसभा में विधायकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय चौधरी के नेतृत्व में एनडीए के विधायक विधानसभा में पहुंच चुके हैं. जीतन राम मांझी भी सत्तापक्ष के साथ दिखाई दे रहे हैं. वहीं विपक्षी विधायक पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की अगुवाई में पहुंच रहे हैं. सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ओर से अभी भी खेला होने का दावा किया जा रहा है. इस सबके बीच स्पीकर अवध बिहारी चौधरी पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. 


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विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर आज विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शक्ति परीक्षण होना है. दोनों ओर से तैयारियां हो चुकी हैं. बहुमत परीक्षण से पहले जेडीयू नेता और सरकार में मंत्री विजय चौधरी ने साफ कहा है कि स्पीकर को खुद हट जाना चाहिए, नहीं तो उन्हें हटा दिया जाएगा. दूसरी ओर अवध बिहारी ने इतनी आसानी से स्पीकर की कुर्सी नहीं छोड़ने की बात कही है. उनकी कोशिश है कि बहुमत परीक्षण के वक्त वही स्पीकर की चेयर पर बैठें. वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने ऐलान कर दिया है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान होने वाली चर्चा और मतदान के समय वे आसन पर विराजमान होंगे. ऐसी परिस्थिति में सदन में हंगामा देखने को मिल सकता है. 


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अब सवाल ये है कि आखिर स्पीकर की कुर्सी के लिए इतना संघर्ष क्यों हो रहा है और नियम क्या कहते हैं? दरअसल, विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संख्याबल में ज्यादा अंतर नहीं होने के कारण स्पीकर की भूमिका अहम होती है. बहुमत परीक्षण के वक्त स्पीकर अगर चाहे तो वोटिंग ना कराके ध्वनिमत से भी बहुमत परीक्षण करा सकता है. इसके अलावा स्पीकर चाहे तो हंगामा कर रहे विधायकों को बर्खास्त कर सकता है. इतना ही नहीं अगर मामला टाई होता है तो स्पीकर को भी अपना वोट डालने का अधिकार होता है. वह तभी वोट कर सकता है जब कुर्सी पर बैठा होगा. यही कारण है कि अवध बिहारी चौधरी स्पीकर की चेयर नहीं छोड़ना चाहते हैं. 


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इधर, जेडीयू से ताल्लुक रखने वाले महेश्वर हजारी का कहना है कि विधानसभा स्पीकर के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव मूव हुआ है तो 12 फरवरी को सदन की अध्यक्षता वे नहीं कर पाएंगे और मैं विधानसभा उपाध्यक्ष होने के नाते स्वाभाविक रूप से कार्यवाही का संचालन करूंगा. महेश्वर हजारी इसके लिए नियम 179 का हवाला देते हुए कहते हैं, विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सूरत में सदन में चर्चा और मतदान की कार्यवाही का संचालन स्पीकर नहीं कर सकते. मतलब अगर किसी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है तो वह सदन की कार्यवाही का संचालन नहीं कर सकते. ऐसे में सदन की कार्यवाही का संचालन विधानसभा उपाध्यक्ष ही करते हैं.