Bihar Flood News: नेपाल में भारी बारिश से बिहार में बागमती, कोसी, कमला बालान जैसी नदियां उफान पर हैं. इससे उत्तर बिहार में बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं. तराई सहित नेपाल के पहाड़ी इलाकों में हो रही मूसलाधार बारिश के साथ ही एक बार फिर कोसी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. कोसी बैराज के सभी 56 गेट खोल दिए गए हैं. वाटर डिस्चार्ज को देखते हुए अधिकारी बांधों पर कैंप करते उनकी निगरानी में जुट गए हैं. अधिकारी बाढ़ निरोधक कार्यों का आकलन कर रहे हैं. नदियों के प्रचंड रूप धारण करने से सैकड़ों गांवों में पानी भर गया है. अब सवाल ये है कि आखिर बिहार में हर साल बाढ़ क्यों आती है और बिहार सरकार इसके लिए क्या काम कर रही है. 


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बिहार उन राज्यों में आता है जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ का सबसे बड़ा कारण है नेपाल. क्योंकि जब नेपाल में जलस्तर बढ़ता है और वहां से पानी छोड़ा जाता है तो वह उत्तरी बिहार के इलाकों में कोहराम मचा देता है. उत्तरी बिहार की लगभग 5 करोड़ आबादी हर साल बाढ़ से परेशान रहती है. इस त्रासदी से बिहार की जनता निरंतर जूझती रहती है. वहीं बिहार सरकार का दावा है कि बाढ़ से अब उतना नुकसान नहीं होता, जितना पहले होता था. नीतीश सरकार ने 2008 से 2023 के आंकड़ों के जरिए बताया है कि प्रदेश सरकार ने इतने वर्षों में कितना काम किया है. 


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2008 में कोसी नदी में आई बाढ़ से हुए जान-माल के नुकसान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उस त्रासदी को यादकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इससे पहले प्रदेश वर्ष 1963, 1968, 1971, 1980, 1984, 1987 और 1991 में भीषण बाढ़ की त्रासदी झेल चुका है. उस वक्त एक बड़ी आबादी बेघर हो गई थी. 2008 में नेपाल के बाराछद्र बैराज से 1,29,800 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. वहीं 2023 में कोसी बैराज से 4,62,343 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. 2008 की तुलना में इस साल 3,32,543 क्यूसेक पानी ज्यादा छोड़े जाने के बाद भी बिहार की हालत पहले जैसी खराब नहीं हुई है. 


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हालांकि, बाढ़ को लेकर नीतीश सरकार हमेशा अलर्ट मोड पर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कई बार कहा है कि राज्य के खजाने पर सबसे पहला अधिकार बाढ़ पीड़ितों का है. बिहार सरकार की ओर से बाढ़ से बचाव के लिए 10 जिलों में स्थाई और 18 जिलों में अस्थाई आश्रय स्थल का निर्माण कराया गया है. जल संसाधन मंत्री संजय झा खुद इसकी मॉनिटरिंग करते हैं. इसके अलावा सरकार की ओर एक ’बेफिक्र’ मोबाइल एप भी लॉन्च किया गया है. जो बाढ़ एवं सिंचाई क्षेत्र से संबंधित जरूरी सूचना को स्वचालित प्रणाली के जरिए मुख्यालय से लेकर क्षेत्रीय स्तर के पदाधिकारी और व्यक्तियों तक रियल टाइम में पहुंचाता है.