Veer Savarkar Birthday: भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक विनायक दामोदर सावरकर की आज यानी 28 मई को जन्म जयंती है. वीर सावरकर की जयंती को यादगार बनाने के लिए पीएम मोदी ने इसी दिन नई संसद भवन का भी उद्घाटन करने का कार्यक्रम रखा है. नई संसद के सेंट्रल हॉल में वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस दौरान सभी बीजेपी सांसदों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है. वीर सावरकर को इतना बड़ा सम्मान पहले कभी नहीं दिया गया क्योंकि कांग्रेस उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मानती ही नहीं है. 


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ज्योतिष के जानकारों का तो यहां तक कहना है कि वीर सावरकर को भारत रत्न मिल सकता है. पंडित प्रमोद शुक्ला के अनुसार, वीर सावरकर की कुंडली के हिसाब से उन्हें बड़ा सम्मान मिल सकता है. तो आईए जानते हैं कि वीर सावरकर की कुंडली क्या कहती है? वीर सावरकर की कुंडली में पराक्रम भाव में बैठे हुए शुक्र, शनि और केतु का राजयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है. पंचम स्थान मैं बैठे हुए गुरु की शुभ दृष्टि राहु, लग्न और भाग्य स्थान पर बहुत ही विशिष्ट है. 



मंगल भी पराक्रम भाव से 9वें घर में बैठे राहु को पूरी दृष्टि से देखते हुए उन्हें युद्ध के लिए प्रेरित करता है. कर्म स्थान अर्थात 10वें घर में अपनी वृश्चिक राशि को देखकर भी पराक्रमी मंगल बहुत पुष्ट कर रहा है. अंशों के अनुसार मंगल और शुक्र में सिर्फ 8 डिग्री की दूरी है. इस तरह से महा पराक्रमी कर्मेश मंगल भी भाग्येश शुक्र और केतु के साथ अद्भुत राजयोग बना रहा है. इस कुंडली में सप्तमेश सूर्य चतुर्थ स्थान में बैठकर जहां एक और कर्म स्थान को देख रहा है. वहीं लग्नेश शनि को अस्त भी किए हुए हैं. सूर्य और शनि के इस संबंध को देखकर आसानी से ज्योतिष के जानकार समझ सकते हैं कि कांग्रेसी हमेशा वीर सावरकर का विरोध करते हुए क्यों उनको गुमनामी के अंधेरे में ढकलने के लिए प्रयत्नशील रहे.


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कुंडली साबित करती है कि एक ओर तो सप्तमेश सूर्य लग्नेश शनि अर्थात (जातक) को अस्त कर रहा है, मतलब यह ग्रह लगातार सावरकर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने में लगा है. जबकि यही सूर्य शनि का परोक्ष रूप से पार्टनर भी है, अर्थात शनि की तरह ही वह भी कर्म भाव को देखकर उसी कर्म (भारत की आजादी) में लगा रहा.  इसीलिए सूर्य प्रधान (वंशवादी लोग) हमेशा सावरकर का विरोध करते हैं. इस कुंडली के अनुसार पिछले करीब एक वर्ष से बृहस्पति की महादशा और अंतर्दशा शुरू हो चुकी है. ऐसी दशाओं में वीर सावरकर जी को वह सम्मान प्राप्त हो सकता है, जिसके वह वर्षों पहले से असली हकदार रहे हैं.