Women Reservatoin Bill Impact: मोदी सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को पेश कर दिया है. सरकार इसे ऐतिहासिक बता रही है. वहीं कई विपक्षी दलों ने भी इस बिल का समर्थन करने का ऐलान किया है. विपक्ष के इन दलों में बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू भी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो इसे मोदी सरकार का सराहनीय कदम बताया है. उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हम लोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं.


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वहीं, सरकार में साझेदार सबसे बड़ी पार्टी राजद ने अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया है और लालू परिवार भी खामोश है. उधर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि बिहार-झारखंड पर इसका क्या असर पड़ेगा? दोनों राज्यों में लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए कितनी सीटें आरक्षित होगी?


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बिहार में क्या होगी नई तस्वीर


बता दें कि बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. बिहार विधानसभा की बात करें तो कुल सीटों की संख्या 243 है. महिला आरक्षण बिल पास हो जाने के बाद महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी. इसका मतलब लोकसभा में महिलाओं के लिए 13 सीटें और विधानसभा में महिलाओं के लिए रिजर्व सीटों की संख्या 80 हो जाएगी. मतलब लोकसभा की 13 और विधानसभा की 80 सीटों पर सिर्फ महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकती हैं. वर्तमान में बिहार विधानसभा में 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 2 सीटें अनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद बिहार विधानसभा की कुल 21 सीटें आरक्षित हो जाएंगी.


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झारखंड की राजनीति पर कितना असर


वहीं झारखंड में लोकसभा की कुल 13 सीटें हैं. महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद प्रदेश में लोकसभी की 4 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. इसी तरह झारखंड में विधानसभा की कुल सीटें 81 है, वहां भी महिलाओं के लिए 27 सीटें रिजर्व हो जाएंगी. सरकार की ओर से कहा गया कि बिल का उद्देश्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाना है.