Kishanganj School News: किशनगंज शहर का एक ऐसा सरकारी विद्यालय, जहां छात्र-छात्राओं को आने में डर लगता है. इतना ही नहीं अभिभावक भी अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजने से कतराते हैं. यही वजह है कि स्कूल में अब कुल छात्रों की संख्या मात्र 48 रह गई है. जी हां, हम बात कर रहे हैं किशनगंज के राजकीय कन्या मध्य विद्यालय की, जो कभी शहर के ख्याति प्राप्त विद्यालयों में शुमार था. लेकिन आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. आइए इस ऑर्टिकल में स्कूल की पूरा कहानी जानते हैं. 


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जर्जर पड़ा स्कूल भवन 
इस स्कूल में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल 3 शिक्षक ही हैं. मिली जानकारी के अनुसार, स्कूल में नामांकित बच्चों की कुल संख्या 48 हैं, जिसमें से रोजाना 30 से 35 बच्चे ही पढ़ने आते हैं. वहीं, जब ZEE मीडिया की टीम वर्षों पुराने इस स्कूल में पहुंची तो यहां के हालात बेहद खस्ता हाल मिले.
स्कूल का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. टूटी फूटी छत के नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई करने पर मजबूर है. यहां एक कमरे में कक्षा एक से लेकर चौथी तक और एक कमरे में कक्षा पांचवीं से लेकर आठवीं तक के बच्चे एक साथ बैठते हैं.


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डर के साये में पढ़ रहे बच्चे
स्कूली बच्चों का कहना है कि एक ही कमरे में चार अलग-अलग क्लास का संचालन होने के कारण काफी परेशनियों का सामना करना पड़ता है. साथ ही स्कूल का भवन अब पूरी तरह से जर्जर हो गया है, जिस वजह से हमेशा छत गिरने का डर बना रहता है. राजकीय का दर्जा प्राप्त स्कूल का भवन नहीं होने से स्थानीय लोगों ने शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े किए. साथ ही कहा कि जर्जर भवन में छात्रों को बैठाकर पढ़ाया जा रहा है, अगर उनके साथ कोई घटना हुई, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? वहीं, स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय भवन जर्जर होने से बच्चे स्कूल आने से डरते है. ऊपर से शिक्षकों की कमी के कारण एक ही शिक्षक को अलग-अलग क्लास के छात्रों को एक ही भवन में बैठकर कंबाइंड क्लास चलाना पड़ता है.


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जल्द बनेगा नया भवन 
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता ने कहा कि राजकीय कन्या मध्य विद्यालय एक ख्याति प्राप्त स्कूल है. स्कूल के आस पास निजी विद्यालय और दो सरकारी स्कूल होने से छात्रों का नामांकन कम है. उन्होंने आगे बताया कि प्राथमिकता के आधार पर जल्द ही नए स्कूल भवन का निर्माण कार्य करवाया जायेगा.


Reporter:  Amit Kumar Singh


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